Interesting Facts About Train: भारतीय रेलवे तकनीक के क्षेत्र में आधुनिकीकरण, विद्युतीकरण, सुरक्षा, डिजिटलीकरण (AI, RFID, ऑनलाइन बुकिंग), और उच्च गति ट्रेनों (वंदे भारत, बुलेट ट्रेन) के उन्नत विकास की दिशा में लगातार बेहतरीन काम कर रहा है। भारतीय रेलवे का लक्ष्य दक्षता बढ़ाना, कार्बन उत्सर्जन घटाना और यात्री अनुभव को बेहतर बनाना है, जो देश के सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वहीं, रिकॉर्ड की बात करें तो भारतीय रेलवे के नाम पर अब तक कई रिकॉर्ड भी दर्ज हो चुके हैं। मगर आज हम आपको रेलवे से जुड़ा एक ऐसा फैक्ट बताने जा रहे हैं जो कि शायद आपने अब तक न सुना हो।
भारत में ट्रेन के पहिये कहां बनते हैं
भारत में ट्रेन के पहिये मुख्य रूप से बेंगलुरु (कर्नाटक) की रेल पहिया फैक्ट्री (Rail Wheel Factory - RWF) और बिहार के सारण जिले में बेला के रेल व्हील प्लांट (RWP) में बनते हैं। ये दोनों ही भारतीय रेलवे के लिए पहियों और धुरों की आपूर्ति करते हैं। इसके अलावा, तमिलनाडु में भी फोर्ज्ड पहियों के लिए नई इकाइयां स्थापित की जा रही हैं, जिससे भारत इन पहियों का निर्यातक बन सके। बता दें कि, बेंगलुरु की फैक्ट्री एक एकीकृत कारखाना है जो पहिये, धुरी और पूरे व्हील सेट बनाता है और भारतीय रेलवे के लिए महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है। वही, बेला का प्लांट भारतीय रेलवे की एक और उत्पादन इकाई है जो भारी मात्रा में पहिये बनाती है और देश की रफ्तार को बनाए रखने में मदद करती है।

ट्रेनों के पहिये बनाने में इनका भी योगदान
इसमें कोई दोराय नहीं कि भारतीय रेलवे विकास पथ पर फर्राटे से दौड़ रहा है। गौरतलब है कि, तमिलनाडु के गुम्मिदीपोंडी में फोर्ज्ड पहियों के उत्पादन के लिए एक नया संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे भारत फोर्ज्ड पहियों का निर्यातक बन सके। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में निजी और सरकारी क्षेत्र के संयंत्र भी स्टील की आपूर्ति कर रहे हैं और उच्च गति वाली ट्रेनों के लिए पहिये बनाने पर काम कर रहे हैं, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो। इन इकाइयों की मदद से भारत अब वंदे भारत जैसी ट्रेनों के लिए भी देश में ही पहियों का उत्पादन कर रहा है और वैश्विक बाजार में निर्यात करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
ट्रेन के पहिये का वजन भी जान लीजिए
आपको बता दें कि, ट्रेन के पहिये का वजन उसके प्रकार और उपयोग पर निर्भर करता है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड क मुताबिक, ट्रेनों के पहिये का वजन 326 किलोग्राम (LHB कोच) से लेकर 554 किलोग्राम (इलेक्ट्रिक इंजन) तक हो सकता है।

जबकि सामान्य कोच के पहिये करीब 384 किलो और डीजल इंजन के पहिये 528 किलो के होते हैं। खास बात ये है कि, इंजन के पहियों को पूरी ट्रेन को खींचने के लिए ज़्यादा मज़बूत और भारी बनाया जाता है, इसलिए वे डिब्बों के पहियों से ज़्यादा वज़नदार होते हैं। पहियों की सुरक्षा बहुत जरूरी होती है, इसलिए हर 30 दिन में इनकी जांच की जाती है और खराबी दिखने पर तुरंत बदला जाता है।
डिस्क्लेमर: इस खबर में दी गई जानकारी रिपोर्ट्स में किए गए दावों पर आधारित है। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।
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