Saturday, April 27, 2024
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युगांडा में श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और फिलिस्तीनी विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर, जानें किन मुद्दों पर हुई बात

युगांडा की राजधानी कंपाला में " जयशंकर ने श्रीलंका, फिलिस्तीनी, बहरीन, सर्बिया, बोलीविया, अजरबैजान और वेनेजुएला के अपने समकक्षों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: January 20, 2024 18:44 IST
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंहे (बाएं) और फिलिस्तीनी विदेश मंत्री डॉ. रियाद अल-मलिकी से (द- India TV Hindi
Image Source : X श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंहे (बाएं) और फिलिस्तीनी विदेश मंत्री डॉ. रियाद अल-मलिकी से (दाएं) युगांडा में मुलाकात करते एस जयशंकर।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को युगांडा के कंपाला में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और फिलिस्तीनी विदेश मंत्री डॉ. रियाद अल-मलिकी से  मुलाकात की। इस दौरान जयशंकर ने एक पोस्ट में लिखा कि डॉ. रियाद अल-मलिकी से मिलकर अच्छा लगा। उनसे गाजा में चल रहे संघर्ष पर विस्तृत और व्यापक चर्चा हुई। इसके मानवीय एवं राजनीतिक आयामों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने दोनों देशों के बीच समाधान के लिए भारत के समर्थन को दोहराया और संपर्क में बने रहने पर सहमति व्यक्त की। 
 
वहीं श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंहे से द्विपक्षीय पहल की प्रगति पर चर्चा की। जयशंकर शुक्रवार से शुरू हुए गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के दो-दिवसीय शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए युगांडा की राजधानी कम्पाला में हैं। जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘कम्पाला में एनएएम शिखर सम्मेलन के मौके पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात करके खुशी हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी द्विपक्षीय पहलों की प्रगति के लिए उनके निरंतर मार्गदर्शन की (हम) सराहना करते हैं। भारत की प्रतिबद्धता हमारी ‘पड़ोसी प्रथम’ और ‘सागर’ नीति में परिलक्षित होती है।’’ भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति अपने निकटतम पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के प्रबंधन के प्रति इसके दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करती है। इसका उद्देश्य समूचे क्षेत्र में भौतिक, डिजिटल और परस्पर आवागमन को बढ़ाने के साथ-साथ व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ाना है।
 

संकट में भारत ने की थी श्रीलंका की बड़ी मदद

विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण श्रीलंका 2022 में एक विनाशकारी वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था, जो 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद की सबसे खराब स्थिति थी। जब देश संकट से जूझ रहा था, तब भारत ने 'पड़ोसी प्रथम' की नीति के अनुरूप ऋण सुविधा और मुद्रा समर्थन के माध्यम से लगभग चार अरब अमेरिकी डॉलर की बहु-आयामी सहायता प्रदान की। ‘‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’’ अर्थात ‘सागर’ हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग की भारत की नीति या सिद्धांत है। इससे पहले दिन में, जयशंकर ने युगांडा के अपने समकक्ष जनरल जेजे ओडोंगो से मुलाकात की। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अपने प्रिय मित्र जनरल जेजे ओडोंगो के साथ दिन की शुरुआत करके खुशी हुई।
एनएएम शिखर सम्मेलन में उत्कृष्ट व्यवस्था के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। युगांडा की अध्यक्षता के प्रति भारत के तहे दिल से समर्थन का आश्वासन दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अप्रैल 2023 की मेरी यात्रा के बाद से हमारे द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति हुई है। सीधी उड़ानें, प्रशिक्षण और आदान-प्रदान तथा नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) के परिसर की शुरुआत प्रमुख विकाय कार्यों में शुमार हैं।  (भाषा) 

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