Saturday, April 27, 2024
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तिब्बत में आजादी की हर आवाज कुचलने के लिए चीन का नया पैतरा, दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर बनाया ये 'गंदा प्लान'

चीनी सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक श्वेत पत्र में दावा किया गया कि किंग राजवंश (1677-1911) के बाद से केंद्र सरकार द्वारा दलाई लामा और अन्य आध्यात्मिक बौद्ध नेताओं को मान्यता दी जाती है। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि प्राचीन समय से ही तिब्बत चीन का अविभाज्य हिस्सा है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 22, 2021 9:00 IST
Tibet Independence Dalai Lama successor China game तिब्बत में आजादी की हर आवाज कुचलने के लिए चीन का - India TV Hindi
Image Source : TWITTER/DALAILAMA तिब्बत में आजादी की हर आवाज कुचलने के लिए चीन का नया पैतरा, दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर बनाया ये 'गंदा प्लान'

बीजिंग. भारत का पड़ोसी मुल्क चीन तिब्बत से उठ रही हर आवाज को दशकों से दबाता चला आ रहा है। आने वाले दिनों में तिब्बत से या तिब्बत के बाहर तिब्बत के किसी भी प्रतिनिधि द्वारा आजादी को कोई बात न की जाए इसके लिए चीन गंदे प्लान बना चुका है। ड्रैगन ने शुक्रवार को कहा कि उसकी मंजूरी पर ही मौजूदा दलाई लामा के किसी उत्तराधिकारी को मान्यता दी जाएगी। साथ ही, उसने दलाई लामा या उनके अनुयायियों द्वारा नामित किसी व्यक्ति को मान्यता देने से इनकार किया।

चीनी सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक श्वेत पत्र में दावा किया गया कि किंग राजवंश (1677-1911) के बाद से केंद्र सरकार द्वारा दलाई लामा और अन्य आध्यात्मिक बौद्ध नेताओं को मान्यता दी जाती है। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि प्राचीन समय से ही तिब्बत चीन का अविभाज्य हिस्सा है। इसमें कहा गया है, "1793 में गोरखा आक्रमणकारियों के जाने के बाद से किंग सरकार ने तिब्बत में व्यवस्था बहाल की और तिब्बत में बेहतर शासन के लिए अध्यादेश को मंजूर किया।"

दस्तावेज के मुताबिक, अध्यादेश में कहा गया कि दलाई लामा और अन्य बौद्ध धर्मगुरु के अवतार के संबंध में प्रक्रिया का पालन करना होता है और चुनिंदा उम्मीदवारों को मान्यता चीन की केंद्रीय सरकार के अधीन है। तिब्बत में स्थानीय आबादी के आंदोलन पर चीन की कार्रवाई के बाद 14 वें दलाई लामा 1959 में भारत आ गए थे। भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी थी और निर्वासित तिब्बती सरकार तब से हिमाचल के धर्मशाला में है।

दलाई लामा अब 85 साल के हो चुके हैं और उनकी बढ़ती उम्र के कारण पिछले कुछ वर्षों में उनके उत्तराधिकारी का मुद्दा उठने लगा है। यह मुद्दा पिछले कुछ वर्षों में तब और सुर्खियों में आया जब अमेरिका ने अभियान चलाया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के संबंध में फैसला करने का अधिकार दलाई लामा और तिब्बत के लोगों के पास होना चाहिए

चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी बार-बार कहते रहे हैं कि दलाई लामा के अवतार लेने की परंपरा सैकड़ों वर्षों से वजूद में है और 14 वें (मौजूदा) दलाई लामा को भी धार्मिक अनुष्ठान और पुरानी परंपरा के तहत मान्यता दी गयी और चीन की केंद्रीय सरकार ने इसे स्वीकृति दी थी। श्वेत पत्र में कहा गया है कि 2020 तक पुनर्जन्म लेने वाले कुल 92 बौद्धों की पहचान की गयी है और तिब्बत में मंदिरों में पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठान के जरिए उन्हें स्वीकृति दी गयी।

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