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जिनपिंग के एक्शन से PLA में भारी उथल-पुथल, कई टॉप सैन्य अफसर लापता

चीनी जनरल हे वेइडोंग का पतन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है। यह CCP की भीतरी कार्यशैली की झलक है, जहां स्थिरता से ज़्यादा वफादारी को महत्व दिया जाता है और पारदर्शिता की बजाय सत्ता बनाए रखने के लिए शुद्धिकरण को प्राथमिकता मिलती है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jun 18, 2025 11:04 IST, Updated : Jun 18, 2025 11:47 IST
शी जिनपिंग, चीन के राष्ट्रपति।
Image Source : INDIA TV शी जिनपिंग, चीन के राष्ट्रपति।

बीजिंगः चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक्शन से टॉप सैन्य अधिकारियों के लापता होने का क्रम जारी है। इससे चीन की सेना पीएलए में बढ़ती गुटबाजी और राजनीतिक सत्ता के बीच संघर्ष उजागर हो गया है। हाल ही में चीन के एक और टॉप सैन्य अधिकारी के लापता होने की सूचना ने यह साफ कर दिया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना गोल हिट करने (किसी को निशाना बनाने) में उनके सबसे करीबी समेत कोई भी व्यक्ति अपरिहार्य नहीं है। यानि वह किसी को बख्शने वाले नहीं हैं। भले ही कोई उनका बेहद खास क्यों न हो।

चीन के दूसरे बड़े सैन्य अधिकारी के लापता होने से हड़कंप

इस बीच चीन के दूसरे सबसे बड़े सैन्य अधिकारी और देश के शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) के सह-उपाध्यक्ष जनरल हे वेइडोंग 11 मार्च से सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिए हैं। उनके पूर्व सहयोगी और CMC के सह-उपाध्यक्ष रहे शू छीलियांग के अंतिम संस्कार में भी उनका नाम आधिकारिक सूची में शामिल नहीं था। इससे चीन की सत्ता से लेकर सेना तक में हड़कंप मच गया है। आखिर जनरल हे वेइडोंग कहां और क्यों लापता हैं, इसकी किसी को सटीक जानकारी नहीं है। 

चीन के पूर्व विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भी हो चुके हैं लापता

चीन में किसी सैन्य अधिकारी या मंत्री के लापता होने का यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले चीन के पूर्व विदेश मंत्री किन गांग और पूर्व रक्षा मंत्री ली शांगफू भी अचानक सार्वजनिक मंचों से गायब हो गए... और बाद में उनको उनके पद से हटा दिया गया। चीन की राजनीति में मौन को अक्सर पुष्टि के रूप में लिया जाता है, इसलिए जनरल हे वेइडोंग की अनुपस्थिति भी यह संकेत देती है कि उन्हें सत्ता से हटा दिया गया है। यह घटनाक्रम चीन में हालिया बड़े पैमाने की कार्रवाइयों की श्रृंखला में एक और कड़ी है। इससे पहले हाल ही में चीन ने अपने एक अन्य टॉप सैन्य अफसर एडमिरल मियाओ हुआ को उनके पद से हटा दिया था। 

कौन थे जनरल हे वेइडोंग 

हे वेइडोंग का करियर शी जिनपिंग के साथ लंबे समय से जुड़ा रहा है। दोनों ने 1990 और 2000 के दशक में फुजियान प्रांत में एक साथ काम किया था। 2017 में हे को पूर्ण जनरल (सबसे उच्च सैन्य रैंक) बनाया गया और 2022 में उन्हें सह-उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह पद उन्हें केवल सेना पर नियंत्रण नहीं, बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की शीर्ष निर्णयकारी संस्था पोलितब्यूरो का सदस्य भी बनाता था। मगर महज़ तीन वर्षों में उनका अचानक पतन CCP के भीतर बढ़ती अस्थिरता को दर्शाता है। बाहरी रूप से एकजुटता की छवि पेश करने वाली चीनी पॉलिटिकल सिस्टम के शीर्ष पर अंदरूनी प्रतिस्पर्धा, वैचारिक मतभेद और गुटबाजी निष्ठाएं उफान पर हैं। शी का नेतृत्व शक्ति के केंद्रीकरण और भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के लिए जाना जाता है, लेकिन उनके ही द्वारा नियुक्त अधिकारियों को हटाना इस प्रणाली की जटिलता को उजागर करता है।

शी जिनपिंग का दांव

हे वेइडोंग की लापता होने की टाइमिंग भी अहम है, क्योंकि आगामी अगस्त में CCP की 20वीं केंद्रीय समिति का चौथा पूर्ण सत्र होना है। यह एक ऐसा गोपनीय मंच है,  जहां नेतृत्व की दिशा तय की जाती है। ऐसे संवेदनशील समय में अक्सर अंदरूनी सफाई (purge) की घटनाएं होती हैं या तो पूर्व-एहतियात के तौर पर या अनुशासन का संदेश देने के लिए ऐसा किया जाता है। जनरल हे की अनुपस्थिति चीन की रक्षा प्रणाली की नाज़ुकता को भी उजागर करती है, ऐसे समय में जब बीजिंग अपने सैन्य विस्तार को तेज़ कर रहा है। चीन में सैन्य ताकत और राजनीतिक अधिकार एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। 

सेना पर मजबूत पकड़ के लिए शी लेते हैं एक्शन 

इसलिए शी की सेना पर मजबूत पकड़ केवल बाहरी खतरों के खिलाफ नहीं, बल्कि अंदरूनी सफाई के लिए भी है। 2023 से अब तक कम से कम 3 वरिष्ठ जनरलों को हटा दिया गया है, जिनमें से दो रक्षा मंत्री खुद शी की पसंद थे। यह व्यापक मुहिम भ्रष्टाचार और निष्ठाहीनता पर प्रहार करती है। परंतु हे वेइडोंग के मामले में यह कार्रवाई संभवतः सत्ता संघर्ष और गुटबाजी की राजनीति को नियंत्रित करने के लिए थी।

CCP में गुटबाजी वाली पॉलिटिक्स का असर 

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी एकदलीय शासन है, लेकिन यह एकसमान नहीं है। माओ युग से ही इसमें क्षेत्रीय, वैचारिक और व्यक्तिगत निष्ठाओं पर आधारित गुट बने हैं। शी जिनपिंग के दौर में पारंपरिक गुटों जैसे यूथ लीग और "प्रिंस्लिंग्स" (CCP नेताओं के वंशज) — की ताकत कम हुई है, लेकिन गुटबाज़ी खत्म नहीं हुई, बल्कि उसका सिर्फ रूप बदला है। हे वेइडोंग को "फुजियान गुट" का माना जाता था। वे ऐसे सैन्य अधिकारी थे, जिन्होंने उस प्रांत में सेवा दी जहां शी कभी गवर्नर थे। परंतु शी से यह संबंध भी उन्हें बचा नहीं सका।

वफादारी और सेना की तैयारी शी के लिए अहम

शी चाहते हैं कि ऐसे सैन्य अफसर उनके साथ रहें जो उनके वफादार हों। साथ ही साथ सेना को मजबूत कर सकें। चीन में इस तरह से सैन्य अधिकारियों का लापता होना या उनको पद से हटाया जाना सिर्फ भ्रष्टाचार या द्रोह के कारण नहीं, बल्कि राजनीतिक नियंत्रण बनाए रखने के लिए भी होता है। इसे अंतः शुद्धिकरण भी कहते हैं। मगर लगातार ऐसी कार्रवाइयां भरोसे को नुकसान पहुंचाती हैं, मनोबल गिराती हैं, और संभावित उत्तराधिकारियों की संख्या सीमित कर देती हैं।

शी जिनपिंग के बाद कौन?

इन सारी घटनाओं के पीछे एक बड़ा सवाल है कि शी जिनपिंग के बाद चीन का नेतृत्व कौन संभालेगा? अभी तक कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी घोषित नहीं हुआ है। चीन में उत्तराधिकार तय करना बेहद संवेदनशील मामला होता है। बहुत जल्दी घोषणा करना भी जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि फिर वह व्यक्ति अन्य गुटों का निशाना बन सकता है। इस अस्पष्टता ने CCP के भीतर गुटीय प्रतिस्पर्धा को और हवा दी है, जहां हर गुट अपने उम्मीदवार को आगे लाना चाहता है। शी का असली दुश्मन शायद कोई दूसरा गुट नहीं, बल्कि वही एकदलीय व्यवस्था है जिसकी बागडोर उन्होंने संभाली है। जैसे-जैसे सत्ता केंद्रीकृत होती जा रही है, वैसे-वैसे नेतृत्व परिवर्तन अधिक जटिल और अस्थिर बनता जा रहा है। (इनपुट-चीनी मीडिया)

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