Tuesday, April 30, 2024
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‘प्रचंड’ जुगाड़ से नेपाल के पीएम बने पुष्प कमल दहल ने ली शपथ, केपी ओली को भी मिलेगा मौका

Prachanda took Oath as PM of Nepal: नेपाल के 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में मात्र 32 सीटें जीतकर भी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ देश के नेए प्रधानमंत्री बन गए। उन्होंने सोमवार को नेपाल के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले ली है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 26, 2022 18:05 IST
पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाल के नए पीएम (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : PTI पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाल के नए पीएम (फाइल)

Prachanda took Oath as PM of Nepal: नेपाल के 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में मात्र 32 सीटें जीतकर भी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ देश के नेए प्रधानमंत्री बन गए। उन्होंने सोमवार को नेपाल के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले ली है। उनसे पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की संभावना थी। शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा 89 सीटों पर जीत दर्ज की थी। मगर अपने ‘प्रचंड’ जुगाड़ से पुष्प कमल दहल ने शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनने की रेस में पीछे छोड़ दिया।

आपको बता दें कि पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को ने तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप शपथ ली है। एक दिन पहले राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। पूर्व गुरिल्ला नेता प्रचंड (68) ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 169 सदस्यों का समर्थन दिखाते हुए राष्ट्रपति को एक पत्र सौंपा था, जिसके बाद उन्हें देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। शीतल निवास में हुए एक आधिकारिक समारोह में राष्ट्रपति भंडारी ने प्रचंड को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। ग्यारह दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड करीब 13 साल तक भूमिगत रहे। वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर शांतिपूर्ण राजनीति का मार्ग अपनाया। उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ।

केपी शर्मा ओली बनेंगे अगले पीएम

प्रचंड ने पहले नेपाली कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था। मगर प्रचंड पहले पीएम बनना चाहते थे। जबकि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा सबसे बड़ी पार्टी के नेता होने के चलते प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। मगर प्रचंड ने देउबा के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इसके बाद वह पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के पास चले गए। केपी शर्मा ओली की सीपीएन-यूएमएल को 78 सीटें मिली थीं। कई अन्य पार्टियों का समर्थन लेकर उन्होंने राष्ट्रपति को 169 सदस्यों का समर्थन पत्र सौंप दिया था। जबकि बहुमत के लिए सिर्फ 138 सदस्यों की ही जरूरत थी। ओली की पार्टी से गठबंधन के अनुसार प्रचंड के बाद ओली को भी पीएम बनने का मौका मिलेगा।

इन पार्टियों से भी जुटाया समर्थन
जुगाड़ में माहिर प्रचंड ने सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गये और सरकार बनाने के लिए समर्थन जुटा लिया। पूर्व प्रधानमंत्री के.पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए। प्रस्ताव में 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्यों के समर्थन मिला। बाद में 4 अन्य सदस्य भी प्रचंड के समर्थन में आ गए। इस प्रकार शेर बहादुर देउबा का पत्ता कट गया।

जानें प्रचंड के बारे में
सूत्रों के अनुसार, 68-वर्षीय 'प्रचंड' को नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए 'शीतल निवास' स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में एक प्रस्ताव पंजीकृत किया गया था। उन्होंने बताया कि चूंकि प्रधानमंत्री पद के लिए केवल एक प्रस्ताव राष्ट्रपति कार्यालय में दर्ज किया गया था, ऐसे में राष्ट्रपति ने प्रचंड को नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त कर दिया। प्रचंड को तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। ग्यारह दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड करीब 13 साल तक भूमिगत रहे। वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर शांतिपूर्ण राजनीति का मार्ग अपनाया। उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ। इससे पहले ओली के आवास बालकोट पर बैठक आयोजित हुई, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड तथा अन्य छोटे दलों के नेताओं ने प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति जताई।

 

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