Sunday, April 28, 2024
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कुरान के अपमान पर मुसलमान देशों का क्रोध, अब डेनमार्क ने उठाया ऐसा कदम

इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान के अपमान को लेकर यूरोप में हाल के समय में कई घटनाएं हुईं, जिन पर मुस्लिम देशों का भारी आक्रोश है। इसी बीच कुरान के अपमान के मामलों पर डेनमार्क ने बड़ा कदम उठाया है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: November 15, 2023 16:04 IST
कुरान के अपमान पर मुसलमान देशों का क्रोध- India TV Hindi
Image Source : AP कुरान के अपमान पर मुसलमान देशों का क्रोध

Denmark Quran News: यूरोप के देशों में कई जगह इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान के अपमान के मामले होते रहे हैं। स्वीडन में कुछ समय पहले कुरान के अपमान का मामला सामने आया था। पवित्र पु​स्तक के अपमान की बढ़ती घटनाओं और मुस्लिम देशों के क्रोध के बाद डेनमार्क में कुरान को जलाने को गैरकानूनी घोषित करने की योजना पर मंगलवार को चर्चा हुई। डेनमार्क की सरकार ने कहा है कि इस तरह के तनाव से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसलिए सार्वजनिक रूप से किसी भी धार्मिक ग्रंथ को जलाने या अपमान करने की घटना को अपराध की श्रेणी में लाने का प्रस्ताव लाया गया है। 

संसद की वेबसाइट के अनुसार, इस उपाय का उद्देश्य "किसी धार्मिक समुदाय के लिए मजबूत धार्मिक महत्व वाले किसी पाठ को सार्वजनिक रूप से या व्यापक दायरे में प्रसारित करने के इरादे से अनुचित तरीके से" अवैध बनाना है। ऐसे अपराधियों के लिए अधिकतम सजा दो साल जेल का प्रावधान है। राष्ट्रीय पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इस वर्ष 21 जुलाई से 24 अक्टूबर के बीच डेनमार्क में 483 धार्मिक किताबें जलाने या झंडा जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

मुस्लिम देशों ने जताई थी नाराजगी 

दरअसल, डेनमार्क के एक धुर-दक्षिणपंथी नेता ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम स्थित तुर्की दूतावास के सामने कुरान की एक प्रति फाड़कर उसमें आग लगा दी थी। इसके बाद सऊदी अरब, यूएई, पाकिस्तान और मिस्र समेत लगभग सभी मुस्लिम देशों ने इसकी कड़ी निंदा की थी। मुस्लिम देशों ने इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए स्वीडन और डेनमार्क को कड़े कदम उठाने के लिए कहा था।

अगस्त में भी की गई थी विधेयक लाने की कोशिश

इससे पहले डेनमार्क में अगस्त के महीने में भी इस तरह के बिल को लाने के प्रयास किए गए थे। हालांकि कड़ी आलोचनाओं के बाद इसमें संशोधन किया गया है। अगस्त में कहा गया था कि इस विधेयक में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित है इसलिए इसे लागू करना मुश्किल होगा। अगस्त में लाए गए बिल को लेकर डेनमार्क के राजनेता, कलाकार और एक्टिविस्टों का कहना था कि यह बिल उसी ईशनिंदा कानून की वापसी है, जिसे 2017 में खत्म कर दिया गया हैं। इसके बाद अक्टबूर में जस्टिस मंत्री हम्मेलगार्ड ने कहा था कि हम इस विधेयक में बदलाव कर रहे हैं जिससे पुलिस और अदालतों को इसे लागू करना आसान होगा।

बिल पेश करने से पहले डेनमार्क सरकार ने कही थी ये बात

डेनमार्क की सरकार ने संसद में बिल पेश करने से पहले रविवार को कहा था कि सरकार कानूनी तरीके खोजने की कोशिश करेगी। इससे अधिकारियों को ऐसे विरोध प्रदर्शनों में हस्तक्षेप करने का अधिकार मिल सके।  डेनिश विदेश मंत्री लोके रासमुसेन ने सोमवार को कहा था कि हम डेनमार्क के लोगों और अन्य देशों को भी यह संकेत दे रहे हैं कि हम इस पर काम कर रहे हैं।

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