Thursday, May 02, 2024
Advertisement

संसद नए विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव पारित करे : शिक्षक संगठन

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन, दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस वक्तव्य का स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में उच्च कट-ऑफ के कारण दिल्ली के अधिकांश छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाने पर चिंता जताई है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 19, 2020 10:53 IST
Parliament passed resolution to create new university...- India TV Hindi
Image Source : FILE Parliament passed resolution to create new university teachers' organization

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन, दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस वक्तव्य का स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में उच्च कट-ऑफ के कारण दिल्ली के अधिकांश छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाने पर चिंता जताई है। डीटीए ने कहा, "दिल्ली में नए कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित करना तभी संभव है, जब दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम 1922 में संशोधन हो। इसके लिए दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने राष्ट्रपति व केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर डीयू अधिनियम 1922 में संशोधन करने की मांग की है।"

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रभारी और दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, "संसद में एक प्रस्ताव पारित कर डीयू अधिनियम 1922 में संशोधन किया जाए। अंग्रेजों द्वारा बनाया गया यह कानून पिछले 98 वर्षो से चला आ रहा है। हमें अपने संविधान व भारतीय परिवेश के अनुसार इसमें संशोधन कर अधिनियम बनाने चाहिए।"

पत्र में डीटीए ने कहा, "राजधानी दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) की स्थापना आजादी से पहले सन् 1922 में हुई थी। उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था। उन्होंने ही दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम 1922 में बनाया था और तभी से यह अधिनियम लागू है। इस अधिनियम में स्पष्ट लिखा है कि अगर कोई नया कॉलेज दिल्ली में खुलेगा तो वह सिर्फ दिल्ली विश्वविद्यालय से ही एफिलिएशन ले सकता है।"

प्रोफेसर सुमन ने राष्ट्रपति और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में कहा, "30 वर्षो से एक भी नया कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से नहीं खोला गया है। दिल्ली में दिनों दिन बढ़ती छात्रों के प्रवेश की समस्या को देखते हुए दिल्ली सरकार यहां नए कॉलेज खोलना चाहती है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय एक्ट सेक्शन-5 (2) के तहत कोई नया कॉलेज खुलेगा तो वह दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत ही आएगा। इसके लिए कोई नया विश्वविद्यालय व कॉलेज खोलने का प्रावधान नहीं है।"

उन्होंने बताया कि सन् 1998 में एक संशोधन करके कहा गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय का एफिलिएशन हो सकता है, जबकि उस विश्वविद्यालय में सिर्फ प्रोफेशनल कोर्स होते हैं, ग्रेजुएशन नहीं होता है, इसलिए जरूरी है कि अंग्रेजों के इस कानून को बदला जाए, जिससे उच्च शिक्षा सभी लोगों तक पहुंच सके।

दिल्ली में हर साल लगभग 2.5 लाख छात्र 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं और उनमें से केवल 1.25 लाख छात्रों को ही दिल्ली के कॉलेजों में प्रवेश मिल पाता है। इसमें भी सर्वाधिक छात्र एसओएल और नॉन कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड (महिला) में प्रवेश लेती हैं। बोर्ड में तो दिल्ली की ही छात्राओं को प्रवेश दिया जाता है।दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों की हाई कट-ऑफ के कारण 80, 70, 60 फीसदी अंक पाए छात्रों को उनके मनपसंद कॉलेज और कोर्सिज में प्रवेश ही नहीं मिल पाता है।

डीटीए के मुताबिक, प्रतिभाशाली छात्र कॉलेज में प्रवेश न मिल पाने से उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में सीटों की कमी है और छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में ईडब्ल्यूएस आरक्षण से कुछ सीटों में इजाफा जरूर हुआ है, लेकिन जिस तेजी से छात्रों की संख्या बढ़ रही है, उसी अनुपात में नए कॉलेज भी खोले जाने चाहिए। प्रतिभाशाली छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित न होना पड़े।

Latest Education News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें एजुकेशन सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement