Monday, May 06, 2024
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हिंदी हार्टलैंड में बीजेपी को लगा करारा झटका, क्या मोदी सरकार अपनी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में रही नाकाम?

विरोधी इसे बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेदार मान रहे हैं तो कई लोग मंदिर का मुद्दा उठाने, देश में कई जगहों पर मॉब लिंचिंग और दलित-अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को भी हार की वजह बता रहे हैं। 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 12, 2018 11:22 IST
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हिंदी हार्टलैंड में बीजेपी को लगा करारा झटका, क्या मोदी सरकार अपनी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में रही नाकाम?

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को हिंदी हार्टलैंड के तीनों अहम राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में झटका लगा है। क्या मोदी सरकार अपनी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में नाकाम रही है या स्थानीय मुद्दे चुनाव में हावी रहे। पार्टी के साथ विरोधी और राजनीतिक विश्लेशक हार की अलग अलग वजह बता रहे हैं। क्यों इन तीनों राज्यों में बीजेपी पर कांग्रेस को जीत मिली? एमपी और छत्तीसगढ़ में तो पिछले 15 पंद्रह साल से बीजेपी सत्ता पर काबिज थी, वहां पार्टी को हार का मुंह क्यों देखना पड़ा, इस पर पार्टी के अंदर मंथन और बाहर बहस छिड़ गई है। 

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विरोधी इसे बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेदार मान रहे हैं तो कई लोग मंदिर का मुद्दा उठाने, देश में कई जगहों पर मॉब लिंचिंग और दलित-अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को भी हार की वजह बता रहे हैं। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘’जिस तरह से लोगों ने ऐलान सा किया है कि जो नीतियां बीजेपी की हैं वो केंद्र की नीतियां हों या प्रदेश की नीतियां हों जनता बदलाव चाहती है।‘’

वहीं एनसीपी नेता माजिद मेमन ने इसका कारण भारतीय जनता पार्टी की गलतियों को बताया है। उनका मानना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कभी जनता के हित में या जनता की समस्या से जुड़े मसलों पर ध्यान नहीं दिया। उनका कहना है कि बीजेपी ने मंदिर का नाम लेकर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश की और खौफ फैलाने की कोशिश की। दलितों और अल्पसंख्यक समाज पर काफी अत्याचार होते रहे।‘’

विरोधी पार्टियां नोटबंदी, जीएसटी, किसानों की नाराजगी को भी बीजेपी की हार की वजह बता रही है। यही वजह है कि जीत के बाद जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मीडिया के सामने आए तो किसानों और छोटे कारोबारियों का जिक्र करना नहीं भूले। हालांकि बीजेपी हार की इन वजहों को नकार रही है। बीजेपी के मुताबिक तीनों राज्यों में एंटी इनकमबेंसी थी। उधर, बीजेपी के सहयोगी दल कांग्रेस को जीत का श्रेय देने की बजाय मुद्दों से भटकने को तीनों राज्यों में हार की वजह बता रहे हैं। 

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा, ‘’हर राज्य में अलग समीकरण या परिस्थितियां हैं। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी स्वाभाविक तौर पर थी। 15 वर्षों की एंटी इनकंबेंसी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में थी और राजस्थान में हर पांच वर्ष के बाद सत्ता परिवर्तन हो रहा है इसके कारण हम चुनाव हारे हैं।‘’

वहीं जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि 2014 के नरेंद्र मोदी चाहिए जहां विकास, रोजगार, स्वाभिमानी भारत, गरीब-किसान के मुद्दे चुनावी सभा के केंद्र बिंदू हुआ करते थे। धर्म, जाति, नामकरण, नाम बदलाव काउंटर प्रोडक्ट साबित हुए। वहीं शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि लोगों ने पर्याय के रूप में कांग्रेस को नहीं स्वीकार किया है, हमें सबक सिखाया है।

उधर, राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कर्नाटक में जेडीएस के साथ सरकार बनाने के बाद कांग्रेस आत्मविश्वास से भरी हुई थी। राहुल गांधी ने तीनों राज्यों में पहले के मुकाबले आक्रामक प्रचार किया। उन्होंने पीएम मोदी से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया। कांग्रेस ने टिकट बंटवारे को लेकर भी काफी मंथन किया। जीत-हार के समीकरण को देखते हुए उम्मीदवारों को टिकट बांटे गए जबकि बीजेपी के बागियों और नाराज कार्यकर्ता ने भी पार्टी का खेल बिगाड़ने का काम किया।

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