Tuesday, April 30, 2024
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कट्टी बट्टी फिल्म रिव्यू

कलाकार- इमरान खान, कंगना रनाउत निर्देशक-  निखिल आडवाणी शैली- रोमांटिक-कॉमेडी जरा सोचिए, आप एक अनियंत्रित ठुमक-ठुमक के चलने वाले घोड़े की सवारी कर रहे हैं जो रास्ते भर आपको ठीक से अपने ऊपर बैठने तक

India TV Entertainment Desk India TV Entertainment Desk
Updated on: September 18, 2015 16:34 IST
कट्टी बट्टी फिल्म...- India TV Hindi
कट्टी बट्टी फिल्म रिव्यू

कलाकार- इमरान खान, कंगना रनाउत

निर्देशक-  निखिल आडवाणी

शैली- रोमांटिक-कॉमेडी

जरा सोचिए, आप एक अनियंत्रित ठुमक-ठुमक के चलने वाले घोड़े की सवारी कर रहे हैं जो रास्ते भर आपको ठीक से अपने ऊपर बैठने तक नहीं देता और अंत में लगभग दो घंटे पंद्रह मिनट की भयानक सैर के बाद आपको सुरक्षित वहीं पहुंचा देता है जहां से आप उस पर बैठे थे। निखिल आडवाणी की फिल्म कट्टी-बट्टी आपको बिल्कुल वैसा ही अनुभव देती हैं। कट्टी-बट्टी के ट्रेलर से ये प्रतीत हुआ था कि ये एक प्रतिबद्धता-भयग्रस्त महिला से जुड़ी एक रोमांटिक फिल्म है। लेकिन जो आपको मिलता है वो है भावुकता से भरा हुआ प्रक्षेप पथ जो भ्रामक और अस्पष्ट है।

हम पूरी फिल्म को मैडी (इमरान खान) के किरदरार से देखते हैं। इसकी शुरुआत होती है पायल मल्होत्रा (कंगना रनाउत) और मैडी के लिव-इन रिश्ते की कुछ फुटेज से। और फिर अचानक हम मैडी को पाते हैं एक अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में जहां वो आत्महत्या की नाकाम कोशिश के बाद पहुंचा है। जब मैडी को होश आता है तब पता चलता है कि वो गलती से फिनाइल पी गया था जिसकी वजह से उसकी ये हालत हुई है। इसके बाद फिल्म मैडी और पायल की प्यार और टकरार की कहानी को दर्शाती है, जिनका रिश्ता पांच साल बाद अब टूटने की कगार पर आ गया है।

निर्देशक निखिल आडवाणी और अंशुल सिंघल द्वारा लिखी गई स्क्रिप्ट की पटकथा काफी जटिल है जो जबरदस्ती के हास्य और अविकसित किरदारों को आपके सामने पेश करती है। उदाहरण के लिए, पायल के किरदार में काफी गहराई है जो कहानी को आगे ले जाने के लिए काफी है लेकिन उसके परिवार और उसके पीछे की कहानी का फिल्म में जिक्र न होना उसके किरदार को अपरिपक्व साबित करता है।

फिल्म की पटकथा में जो गाने परोसे गये हैं वो भी आपको मनमोहित नहीं करते। फिल्म के आखिरी गाने के अलावा बाकी सभी गीत मजबूरी में डाले गए है जो आपके सिर के दर्द को बढ़ाते हैं। वो फिल्म की सिचुएशन को समझाते हैं लेकिन न ही फिल्म की कहानी को आगे ले जाते हैं और न ही उससे जुड़ा कोई खास खुलासा करते हैं।

जो लुभाता है वो है इमरान और कंगना की फ्रेश पेयरिंग। स्क्रीन पर वो एनर्जी से भरपूर दिखते हैं और उनकी केमेस्ट्री को आप महसूस कर सकते हैं। वहीं अगर अभिनय की बात करें तो इमरान खान का इस फिल्म में राज है। उनके किरदार को ही अच्छी तरह से लिखा गया है। अपने लुक्स और हाव-भाव से इमरान ईमानदार, आकर्षक और संतुष्टी भरा पर्फार्मेंस देते हैं। वहीं कंगना कुछ भी नया करती नहीं दिखती सिवाए इसके कि वो अपने आपको आत्मविश्वास के साथ फिल्म में आगे तक दर्शाती हैं। सपोर्टिंग एक्टर्स में विवान भटेना को कंगना के पूर्व प्रेमी के किरदार में ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया है।

निखिल आडवाणी ने दो हफ्तों में दो फिल्में रिलीज कर साहस तो दिखाया लेकिन ये शायद उनका ओवर कॉन्फिडेंस था जो उन्हें ले डूबा है। हीरो ने तो पहले ही निराश कर रखा था, और लग रहा है कि अब कट्टी-बट्टी से भी दर्शक कट्टी कर लेंगे।

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