Sunday, November 09, 2025
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कफ सिरप की दवाई में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल बच्चों को कैसे पहुंचाता है नुकसान, जानें शरीर पर पड़ता है कैसा असर?

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप से 11 बच्चों की मौत हो गई। इस कफ सिरप में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल नामक बेहद खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया गया है। चलिए, एक्सपर्ट से जानते हैं यह केमिकल शरीर को कितना नुकसान पहुंचाता है

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Oct 05, 2025 04:12 pm IST, Updated : Oct 05, 2025 04:17 pm IST
कफ सिरप की दवाई में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल- India TV Hindi
Image Source : PTI / INDIA TV कफ सिरप की दवाई में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप से 11 बच्चों की मौत हो गई। ये बच्चे बुखार और सर्दी-खांसी से परेशान थे। सर्दी-खांसी का इलाज कराने गए इन बच्चों को डाॅक्टर ने जो दवा लिखकर दी उससे आराम होने की बजाय तबीयत और बिगड़ गई। इस वजह से किडनी खराब होने से 2 से 5 साल के बीच के बच्चों की मौत हो गई। छिंदवाड़ा की टीम ने बच्चों को यह संदिग्ध सिरप 'कोल्ड्रिफ' लिखने वाले बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया है।

बता दें, मृतक बच्चों ने जो कफ सिरप का डोज़ लिया थी उसमें डायएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) नामक जहरीला केमिकल पाया गया था। इन सिरप के सैंपल्स में डायथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा 48.3% पाई गई है। चेन्नई की ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी में सरकारी दवा विश्लेषक की ओर से सिरप का एक नमूना जांचा गया था। तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल निदेशालय ने इस नमूने को "मानक गुणवत्ता का नहीं" घोषित किया था। ऐसे में इंडिया टीवी ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रभाकर तिवारी से बातचीत की। डॉक्टर ने बताया कि सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल कितना खतरनाक है और बच्चों के शरीर पर इसका क्या सर पड़ता है?

डायथिलीन ग्लाइकॉल क्या होता है?

डायथिलीन ग्लाइकॉल एक जहरीला पदार्थ है जो पानी की तरह रंगहीन, गंधहीन, चिपचिपा और मीठा होता है। यह मुख्य रूप से यकृत को प्रभावित करता है और इसके सेवन से किडनी फेलियर हो सकती है। हालांकि, इसका इस्तेमाल कफ सिरप में नहीं किया जाता है। लेकिन अगर इस केमिकल का इस्तेमाल उसमें हुआ है तो यह बहुत बड़ी लापरवाही है।

ये केमिकल शरीर के लिए क्यों घातक है?

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रभाकर तिवारी कहते हैं कि जो भी चीज हम खाते हैं वो हमारे इंटेस्टाइन से एब्सॉर्ब होकर ब्लड सर्कुलेशन द्वारा दूसरे अंगों तक पहुंचती है। आमतौर पर जो लिवर होता है वो डिटॉक्सिफिकेशन का काम करता है और किडनी एलिमिनेशन का काम करती है। ये जो टॉक्सिक कैमिकल्स है ये इंटेस्टाइन के रास्ते एब्सॉर्ब होकर दूसरे अंगों के द्वारा किडनी में पहुंचे। लेकिन इन टॉक्सिक को किडनी फ़िल्टर नहीं कर पाई और इस वजह से ये शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंच गए। इस वजह से किडनी फेल हुई और लिवर, ब्रेन और हार्ट पर भी बुरा असर पड़ा और इस वजह से बच्चों की मृत्यु हुई।

डायथिलीन ग्लाइकॉल से शरीर पर क्या असर पड़ता है?

डायथिलीन ग्लाइकॉल के इस्तेमाल के बाद भी अगर आप जीवित हैं तब भी आगे चलकर इसके कई साईड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। एथिलीन ग्लाइकॉल के विषाक्त मेटाबोलाइट्स दिमाग, लिवर, किडनी और फेफड़ों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस विषाक्तता के कारण मेटाबॉलिज़्म में गड़बड़ी होती है, जिसमें मेटाबोलिक एसिडोसिस भी शामिल है। ये गड़बड़ी इतनी गंभीर हो सकती है कि गहरा सदमा और अंग विफलता भी हो सकती है। आगे चलकर किडनी से जुड़ी कई बीमारियां भी हो सकती हैं।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।

 

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