भारत ही नहीं बुरी दुनिया कोरोना वायरस की वैक्सीन या दवा का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। दुनियाभर की बात की जाए तो चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इज़रायल, जर्मनी सहित कई देश कोविड 19 का वैक्सीन को लेकर कई रिसर्च कर रहे हैं।
भारत की बात की जाए तो यहां के शोधकर्ता कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। अब इस महत्वपूर्ण विकास में हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (IICT) ने कोविड -19 को के एंटीवायरल ड्रग्स के विकास पर काम करने के लिए फार्मास्युटिकल 'सिप्ला' के साथ करार किया है।
एंटीवायरल दवाओं पर शोध लंबे समय से दुनिया भर में चल रहा है और कई कंपनियों ने एंटी-वायरल गुणों वाले अणुओं का विकास किया है। लेकिन मांग की कमी के कारण, इन अणुओं का व्यापक रूप से मार्केटिंग नहीं किया गया था।
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हालांकि, सीएसआईआर-आईआईसीटी ने ऐसे तीन अणु- रेमेडिसविर, फेविपिरवीर और बालोक्सीर पर काम करने का फैसला किया।
आईआईसीटी के निदेशक एस चंद्रशेखर और प्रमुख प्रमुख वैज्ञानिक एस मणिकर ने कहा कि सिप्ला के चेयरमैन ने उनसे 3 कंपाउंड्स - फेवीपिरवीर, रेमसीविर और बोलैक्सिविर बनाने का अनुरोध किया है।
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सिप्ला दवाओं के परीक्षण, अप्रुव और बड़े पैमाने पर उत्पादन के बाद दिखेगा। यह टेस्ट फ़ाविपिरवीर और रेमिसिविर पर किए गए है।
चंद्रशेखर आगे कहा कि इसे बनाने में लगभग 6-10 सप्ताह का समय लगेगा, लेकिन हम अब बोलवाक्विर बनाना शुरू कर देंगे।