
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूएनएड्स यानी संयुक्त राष्ट्र एड्स एजेंसी के उप कार्यकारी निदेशक क्रिस्टीन स्टेगलिंग ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार द्वारा विदेशी सहायता फंड पर रोक लगाने की वजह से एचआईवी/एड्स उपचार कार्यक्रमों की स्थिति अस्थिर हो गई है। क्या आप जानते हैं कि अगर एचआईवी के मरीज एचआईवी की दवाइयां लेना बंद कर देते हैं, तो उनकी सेहत कितनी बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है?
बेहद कमजोर हो जाएगा इम्यून सिस्टम
एचआईवी के मरीज के लिए समय पर एचआईवी ड्रग्स लेते रहना बेहद जरूरी होता है। अगर एचआईवी की दवाइयों को लेकर पेशेंट से किसी भी तरह की लापरवाही हुई, तो उसका इम्यून सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। एचआईवी ड्रग्स न लेने की वजह से मरीज की इम्यूनिटी काफी ज्यादा कमजोर हो सकती है, जिसकी वजह से पेशेंट को लेने के देने भी पड़ सकते हैं। इम्यून सिस्टम को कोलैप्स होने से बचाने के लिए एचआईवी की दवाइयां लेना जरूरी है।
हमला कर सकती हैं बीमारियां
एचआईवी ड्रग्स न लेने से न केवल मरीज की इम्यूनिटी कमजोर होगी बल्कि मरीज के शरीर पर कई गंभीर और जानलेवा बीमारियां हमला कर देंगी। अगर एचआईवी की दवाइयों को कंज्यूम नहीं किया गया, तो पेशेंट की जान भी जा सकती है। दरअसल, एचआईवी एड्स का कारण बनता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी भी एड्स का कोई इलाज नहीं है।
गौर करने वाली बात
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक एचआईवी ट्रीटमेंट के बिना, एड्स से पीड़ित लोग आमतौर पर लगभग तीन साल तक जीवित रहते हैं। एचआईवी ड्रग्स न लेने के कारण मरीज को फंगल इंफेक्शन, निमोनिया, साल्मोनेला और टीबी होने का खतरा काफी हद तक बढ़ सकता है। कुल मिलाकर एचआईवी ट्रीटमेंट के बिना पेशेंट की प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारियों से लड़ने में असमर्थ होती जाती है और खाना खाने से लेकर यात्रा तक, हर काम में मरीज के शरीर पर कीटाणुओं के हमले की संभावना बढ़ जाती है।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)