Wednesday, May 15, 2024
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कठुआ रेप केस: नाबालिग आरोपी की जमानत याचिका नामंजूर, गिरफ्तार पुलिसकर्मी ने CBI जांच के लिए हाई कोर्ट में की अपील

याचिका में कहा गया कि यह बात अटपटी है कि कुछ वर्ष पहले बलात्कार और हत्या के मामले में शामिल रहे और तीन वर्ष तक गिरफ्तारी से बचकर भागते रहे एक अधिकारी को एसआईटी का सदस्य बनाया गया ।

IANS Edited by: IANS
Updated on: April 24, 2018 19:18 IST
चित्र का इस्तेमाल...- India TV Hindi
Image Source : PTI चित्र का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए 8 साल की बच्ची के रेप केस में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस केस में नाबालिग आरोपी की जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है। इससे पहले इसी केस में गिरफ्तार एक पुलिसकर्मी और एक एसपीओ मामले की राज्य अपराध शाखा द्वारा की गई जांच को रद्द करने और नए सिरे से सीबीआई द्वारा जांच करने की मांग को लेकर जम्मू - कश्मीर उच्च न्यायालय पहुंचे। राज्य के कठुआ जिले में आठ वर्षीय एक बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या मामले में कथित तौर पर साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में उप निरीक्षक आनंद दत्ता और विशेष पुलिस अधिकारी ( एसपीओ ) दीपक खजुरिया को गिरफ्तार किया गया था। 

उनके वकील वीनू गुप्ता ने इस बारे में कल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने इसमें मांग की है कि अपराध शाखा की जांच रद्द की जाए क्योंकि तीन मौकों पर यह स्थानीय पुलिस से इसे सौंपी गई और अंतत : विशेष जांच दल ( एसआईटी ) को दी गई। याचिका में कहा गया कि यह बात अटपटी है कि कुछ वर्ष पहले बलात्कार और हत्या के मामले में शामिल रहे और तीन वर्ष तक गिरफ्तारी से बचकर भागते रहे एक अधिकारी को एसआईटी का सदस्य बनाया गया । साक्ष्य के अभाव में निचली अदालत से अधिकारी बरी हो गया था । इसमें कहा गया कि मामले की संवेदनशीलता के बावजूद उसे जांच पैनल का सदस्य बनाया गया।

याचिका में मामले की नए सिरे से सीबीआई जांच की भी मांग की गई। याचिका के मुताबिक पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट में बहुत अंतर है। इसमें अपराध शाखा की जांच को गलत बताया गया। याचिकाकर्ताओं ने अपराध शाखा के इस निष्कर्ष पर भी आपत्ति जताई कि लड़की को देवस्थान में रखा गया था और आरोप लगाया कि एसआईटी ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ की और झूठे साक्ष्य गढ़े। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जांच का मुख्य उद्देश्य यह है कि आदिवासी लोग सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर सकें। 

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