Friday, April 26, 2024
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दिल्ली हिंसा: बाहरी उपद्रवियों के सामने एक-दूजे के लिए ढाल बने हिंदू-मुस्लिम

पिछले चार दिनों से उत्तरी-पूर्वी दिल्ली हिंसा की चपेट में रही, तब हिंदुओं-मुस्लिमों ने सौहार्द की मिसाल पेश की। एक-दूसरे के लिए वे ढाल बनकर खड़े रहे।

IANS Reported by: IANS
Published on: February 27, 2020 7:43 IST
दिल्ली हिंसा: बाहरी उपद्रवियों के सामने एक-दूजे के लिए ढाल बने हिंदू-मुस्लिम- India TV Hindi
दिल्ली हिंसा: बाहरी उपद्रवियों के सामने एक-दूजे के लिए ढाल बने हिंदू-मुस्लिम

नई दिल्ली: उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के मौजपुर के पास मिश्रित आबादी वाला एक मोहल्ला है विजयपार्क। यहां हिंदू और मुस्लिम साथ रहते हैं। एक गली हिंदू की है तो दूसरी मुसलमान की, तीसरी हिंदू की और चौथी मुसलमान की। कुछ इसी तरह की बसावट है यहां। जब पिछले चार दिनों से उत्तरी-पूर्वी दिल्ली हिंसा की चपेट में रही, तब हिंदुओं-मुस्लिमों ने सौहार्द की मिसाल पेश की। एक-दूसरे के लिए वे ढाल बनकर खड़े रहे।

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दोनों समुदायों के लोग साथ-साथ मोहल्ले की पहरेदारी करते नजर आ रहे हैं। उनकी पिछले चार दिनों से यही कोशिश है कि कोई भी बाहरी उपद्रवी मोहल्ले में घुसने न पाए। उनका कहना है कि भड़काने और मारपीट की शुरुआत उपद्रवी करते हैं और फिर बचाव में स्थानीय लोग भी हिंसा में शामिल हो जाते हैं।

एक व्यक्ति ने कहा, "यहां विजय पार्क में कुछ गलियां हिंदुओं की हैं तो कुछ मुसलमानों की। मुख्य सड़क के पास वाली गलियों में हिंदू रहते हैं और पीछे की तरफ मुसलमान। हम किसी की साजिश सफल नहीं होने देंगे। हमारी बसावट ही ऐसी है कि एक-दूसरे के सहयोग के बगैर नहीं रह सकते। कोई बाहरी हमारे मोहल्ले में घुसने न पाए, इसके लिए साथ मिलकर पहरेदारी कर रहे हैं।"

यहां कुछ गलियों में गेट लगे हैं और कुछ गलियों में गेट नहीं हैं। लोगों ने दिल्ली सरकार से सुरक्षा के मद्देनजर सभी गलियों में गेट लगवाने की मांग की। लोगों ने सोमवार की देर रात से लेकर मंगलवार की सुबह का उपद्रव बयान करते हुए कहा, "पुलिस की समुचित तैनाती होने से चौथे दिन आज बुधवार को तो माहौल ठीक है। अब डर कम लग रहा है, मगर मन में आशंकाएं बरकरार हैं। सोमवार की रात करीब ढाई बजे कबीरनगर की तरफ से हेलमेट पहनकर और घातक हथियारों से आए लोगों ने कई बार हमले की कोशिशें की थीं। उन्होंने दुकानें भी लूटने की कोशिश की। ऐसे में हम अपने घर और दुकान बचाने के लिए डंडा लेकर पहरेदारी करने को मजबूर हैं।"

मोहल्ले के ही एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "तीस साल से मैं यहां रह रहा हूं, पास-पड़ोस के चेहरे परिचित हो चुके हैं। मगर पिछले चार-पांच दिनों से यहां गाड़ियों से संदिग्ध लोग आते-जाते दिखे, जिन्हें कुछ खुराफाती दिमाग के लोगों ने पनाह दी। हिंसा कर तनाव पैदा करने की कोशिशों में यही बाहरी लोग लगे रहे। मारकाट की शुरुआत बाहरी करते हैं और चाहते हैं कि स्थानीय लोग भी इसका हिस्सा बन जाएं। नासमझ लोग उनकी बातों में आकर खून-खराबा करने उतर जाते हैं।"

जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, कबीरनगर आदि इलाकों में लोगों से बात करने में कई ने हिंसा के पीछे बाहरी उपद्रवियों का हाथ होने का आरोप लगाया। लोगों ने कहा कि गाड़ियों से भरकर ऐसे लोग आसपास के मुहल्लों में पहुंचे हैं, जिन्हें पहले कभी नहीं देखा गया। पुलिस को सर्च अभियान चलाने के साथ किराएदारों का वेरिफिकेशन करना चाहिए।

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