Wednesday, April 24, 2024
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जानिए क्‍या है आर्टिकल 35A और क्‍यों है इस पर इतना बवाल?

आइए समझते हैं कि यह आर्टिकल 35A क्या है और क्यों यह इतना संवेदनशील माना जा रहा है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 05, 2019 11:34 IST
Article 35 A - India TV Hindi
Article 35 A 

कश्‍मीर में इस समय स्थिति तनावपूर्ण है। बड़े नेता नज़रबंद कर दिए गए हैं। कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है। इस पूरी हलचल के बीच जो मुद्दा चर्चा का केंद्र है वह है आर्टिकल 35A, हर किसी की जुबां पर इसी का जिक्र है। तो आइए समझते हैं कि यह आर्टिकल 35A क्‍या है और क्‍यों यह इतना संवेदनशील माना जा रहा है। 

जानिए क्‍या है आर्टिकल 35A?

आर्टिकल 35A के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार के पास राज्य के स्थायी निवासी की परिभाषा तय करने का अधिकार होता है। स्थायी नागरिक को मिलनेवाले अधिकार और विशेष सुविधाओं की परिभाषा भी आर्टिकल 35A के ही तहत तय की जा सकती है। यह कानून 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के तहत शामिल किया गया था। केंद्र सरकार इसी आर्टिकल 35A को हटाना चाहती है। 

क्‍या है इसका इतिहास 

आर्टिकल 370 के अंतर्गत 35A में यह प्रावधान भारतीय संविधान में जोड़ा गया था। जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय नेता शेख अब्दुल्ला और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच 1949 में हुए समझौतों के तहत आर्टिकल 35A का विशेष प्रावधान जोड़ा गया। जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी संबंधी नियमडोगरा नियमों के तहत 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही राजा हरि सिंह ने लागू किया था। जम्मू-कश्मीर 1947 तक राजशाही के अंतर्गत आता था और इंस्ट्रूमेंट ऑफ असेसन (आईओए) के तहत इसे भारत में शामिल किया गया। 

क्यों हटाया जा रहा है।

अनुच्छेद 35A हटाने का कारण छुपा है कि, इस अनुच्छेद को संसद के जरिए लागू नहीं किया गया था। इसके साथ ही इस अनुच्छेद के कारण पाकिस्तान से आए शरणार्थीयों को आज भी उनके मौलिक अधिकारों से वंचिक रखा गया है। इन वंचितों में 80 फीसद लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय से हैं।  जम्मू कश्मीर में रहने वाली महिलाओं का कहना है कि यहां पैदा होने के बावजूद अगर वे बाहर के राज्य के पुरुष से शादी कर लेती हैं तो उनका राज्य में संपत्ति खरीदने, मालिकाना हक रखने या अपनी पुश्तैनी संपत्ति को अपने बच्चों को देने का अधिकार खत्म हो जाता है। बाहरी युवक से शादी करने के कारण उनकी राज्य की स्थाई नागरिकता खत्म हो जाती है जबकि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं है। 

राज्य के पुरुष अगर दूसरे राज्य की महिला से शादी करते हैं तो उस महिला को भी राज्य के स्थाई निवासी का दर्जा मिल जाता है। इस तरह अनुच्छेद 35ए जम्मू एवं कश्मीर की बेटियों के साथ लिंग आधारित भेदभाव करता है।

क्‍या है 35A में शामिल 

जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी की परिभाषा के मुताबिक 'ऐसे सभी व्यक्ति जिनका जन्मप्रदेश में 1911 से पहले हुआ है। ऐसे सभी निवासी जो 10 या उससे अधिक साल से प्रदेश में बस चुके हैं और वह राज्य में वैध तरीके से अचल संपत्ति के मालिक हैं।' प्रदेश के सभी प्रवासी इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो पाकिस्तान जाकर बस गए हैं, उन्हें भी राज्य का विषय माना गया। राज्य छोड़कर जानेवाले प्रवासी नागरिकों की 2 पीढ़ियों को इसके तहत शामिल किया गया। 

राज्‍य का नागरिक होने के लिए यह शर्त जरूरी

इस कानून के तहत जो लोग राज्य के स्थायी नागरिक नहीं हैं उन्हें स्थायी तौर पर प्रदेश में बसने की अनुमति नहीं है। प्रदेश की सरकारी नौकरियां, स्कॉलरशिप और अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री का अधिकार भी सिर्फ स्थायी नागरिकों को ही है। इसके अलावा शर्त यह है कि अगर प्रदेश की स्थायी नागरिक महिला किसी गैर-स्थायी नागरिक से विवाह करती है तो वह राज्य की ओर से मिलनेवाली सभी सुविधाओं से वंचित कर देता है। हालांकि, 2002 में हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में कानून के इस हिस्‍से को बदल दिया था। हाईकोर्ट ने ऐलान किया कि प्रदेश की महिलाएं अगर गैर-स्थायी नागरिकों से विवाह करती हैं तब भी उनके सभी अधिकार विधिवत बने रहेंगे, लेकिन ऐसी महिलाओं के संतान को स्थायी नागरिक को मिलनेवाली सुविधा से वंचित रहना पड़ेगा। 

क्‍या है आर्टिकल 370?

आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के कारण केंद्र सरकार की शक्तियां रक्षा, विदेश मामले और कम्युनिकेशन तक ही सीमित होती है। इस विशेष प्रावधान के कारण ही 1956 में जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान लागू किया गया। 

आर्टिकल 35A का मौजूदा घटनाक्रम 

2014 में आर्टिकल 35A को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। याचिका के अनुसार, यह कानून राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा जोड़ा गया और इसे कभी संसद के सामने पेश नहीं किया गया। कश्मीरी महिलाओं ने भी इस कानून के खिलाफ अपील की और कहा कि यह उनके बच्चों को स्थायी नागरिकों को मिलनेवाले अधिकार से वंचित करता है। फिलहाल इस कानून के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन सरकार कानून बनाकर आर्टिकल 35A को खत्म कर सकती है। बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार और चुनाव घोषणा पत्र में भी आर्टिकल 35A को खत्म करने का ऐलान किया था।

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