सबसे अनोखी बात यह है कि पिथौरागढ़ जैसे पहाड़ी इलाके में यह सब कुछ करना आसान नहीं था। लेकिन सेना ने इसे चैलेंज के रूप में लिया और कामयाबी के झंडे बुलंद कर दिए। पर्यावरण के क्षेत्र में कुमांऊ पर्यावरण वाहिनी पहले भी कई कीर्तीमान अपने नाम दर्ज करा चुकी है। लेकिन ये पहला मौका है जब वाहिनी ने इतने बड़े स्तर पर पौधे लगाये।
कुमाऊं 130 पर्यावरण वाहिनी पिथौरागढ़ के कमान अधिकारी कर्नल नंदु कुमार बी एन का कहना है कि उन्होंने अपने पर्यावरण के इस कारनामे को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए भी आवेदन भेजा है,जिसे मंज़ूर कर लिया गया है । अभी हम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज होने का इंतज़ार कर रहे है।
पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतरीन कार्यों के लिए कुमाऊं पर्यावरण वाहिनी को पहले भी इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार, जनरल बी सी जोशी अवार्ड, अनिरूद्ध भार्गवा अवार्ड, बायोवेद इन्वायरमैटं अवार्ड और चार मौके पर उत्कृष्ट पर्यावरण बटालियन अवार्ड मिल चुका है। लेकिन अब वाहन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज होने का इंतज़ार कर रही है। पर्यावरण के क्षेत्र में सेना के इस हौसले को सलाम।
पिथौरागढ में वृक्षारोपण महोत्सव
यह अनोखा कारनामा लिम्का बुक्स ऑफ रिकार्ड में हुआ दर्ज