Powers of Vice President: भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, जो राष्ट्रपति के बाद आता है। देश के नए उपराष्ट्रपति के लिए आज चुनाव हो रहे हैं। इससे पहले, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा देकर चौंका दिया था, जिस पर जमकर सियासत भी हुई। ऐसे में आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति के पास कौन-कौन सी पावर होती है?
राज्यसभा के मुखिया के तौर पर
उपराष्ट्रपति का सबसे अहम काम राज्यसभा की मीटिंग की अध्यक्षता करना होता है। इस पद पर रहते हुए उनके पास वही ताकतें होती हैं जो लोकसभा के स्पीकर के पास होती हैं। उनके कुछ खास काम ये हैं-
- वे राज्यसभा की मीटिंग करवाते हैं, सदस्यों को बोलने देते हैं और सदन में अनुशासन बनाए रखते हैं।
- वे सदन की व्यवस्था संभालते हैं और नियमों का पालन न करने वाले किसी भी सदस्य को बाहर निकाल सकते हैं।
- अगर किसी बिल पर वोट बराबर हो जाते हैं, तो उपराष्ट्रपति अपना निर्णायक वोट देकर फैसला करते हैं। आम तौर पर वे वोट नहीं देते हैं।
- वे सदन के नियमों को समझाते हैं, और उनका फैसला अंतिम होता है।
राष्ट्रपति के रूप में काम करना
- उपराष्ट्रपति तब राष्ट्रपति का काम संभालते हैं, जब राष्ट्रपति अपने पद पर नहीं होते।
- अगर राष्ट्रपति का पद उनकी मृत्यु, इस्तीफे या हटाए जाने की वजह से खाली हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति तुरंत राष्ट्रपति बन जाते हैं। वे ऐसा 6 महीने तक कर सकते हैं, क्योंकि इस दौरान नए राष्ट्रपति का चुनाव हो जाना चाहिए।
- अगर राष्ट्रपति बीमारी या विदेश यात्रा के कारण थोड़े समय के लिए अपना काम नहीं कर पाते, तो उपराष्ट्रपति उनके लौटने तक उनका काम संभालते हैं।
- जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का काम करते हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति की सारी शक्तियां, फायदे और सैलरी मिलती है। इस दौरान वे राज्यसभा के मुखिया के रूप में काम नहीं करते।
उपराष्ट्रपति कैसे चुने जाते हैं?
भारत का उपराष्ट्रपति सीधे जनता द्वारा नहीं चुना जाता। संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक खास ग्रुप द्वारा किया जाता है जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य (चुने हुए और नामांकित) शामिल होते हैं। यह चुनाव गुप्त मतदान से होता है।
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