Monday, April 29, 2024
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‘हम तो 1950 से ही कह रहे थे कि…’, लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पर बोलते हुए अमित शाह का बड़ा बयान

अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू एवं कश्मीर बिल पर TMC के सांसद सौगत रॉय की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि हम 1950 से कह रहे हैं कि देश में 'एक प्रधान, एक निशान, एक विधान' होना चाहिए और हमने यह किया।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: December 05, 2023 18:34 IST
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Image Source : SANSAD TV लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंंत्री अमित शाह।

नई दिल्ली: लोकसभा में जम्मू-कश्मीर विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय की एक टिप्पणी पर भड़क गए। रॉय की टिप्पणी पर बोलते हुए गृह मंत्री ने मंगलवार को लोकसभा में कहा, ‘एक देश में दो प्रधानमंत्री, दो संविधान और दो झंडे कैसे हो सकते हैं? जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्होंने गलत किया। पीएम मोदी ने इसे ठीक किया। हम 1950 से कह रहे हैं कि देश में 'एक प्रधान, एक निशान, एक विधान' होना चाहिए और हमने यह किया।’

ऐसा क्या कहा था सौगत रॉय ने?

दरअसल, लोकसभा में मंगलवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक - 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस की तरफ से बोलते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने यह टिप्पणी कर दी कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्लोगन 'एक प्रधान, एक विधान, एक निशान' पॉलिटिकल स्लोगन था। सौगत रॉय की इस टिप्पणी पर ऐतराज जताते हुए अमित शाह ने तुरंत लोकसभा में खड़े होकर कहा, 'यह बहुत ऑब्जेक्शनेबल है। एक देश में ‘एक निशान, एक प्रधान और एक संविधान’ को यह पॉलिटिकल स्टेटमेंट बता रहे हैं। मुझे लगता है कि दादा उम्र हो चुकी है आपकी।'

अनुच्‍छेद 370 के प्रावधानों में क्या था खास?

अनुच्‍छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्‍मू–कश्‍मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्‍य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्‍द्र को राज्‍य सरकार की मंजूरी लेनी होती थी। भारत की संसद जम्‍मू–कश्‍मीर के संबंध में सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती थी। अनुच्‍छेद 370 की वजह से जम्‍मू–कश्‍मीर राज्‍य पर भारतीय संविधान की अधिकतर धाराएं लागू नहीं होती थीं। भारत के दसरे राज्यों के लोग जम्‍मू–कश्‍मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे। केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम भी इस सूबे में लागू नहीं होता था

5 अगस्त 2019 को उठाया गया था बड़ा कदम

बता दें कि 5 अगस्‍त 2019 को संसद द्वारा अनुच्‍छेद 370 और 35ए को हटाने को मंजूरी दी गई। नोटिफिकेशन जारी करते ही 31 अक्‍टूबर 2019 से जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख को दो अलग केन्‍द्र शासित प्रदेश में पुनगर्ठित कर दिया गया। इसके साथ ही केन्‍द्र सरकार के 170 कानून जो पहले लागू नहीं थे, वे इस क्षेत्र में लागू कर दिए गए। यहां के स्‍थानीय निवासियों और दूसरे राज्यों के नागरिकों के बीच अधिकार समान हो गया। यहां मूल निवासी कानून लागू किया गया जिसके अनुसार 15 वर्ष या अधिक समय तक जम्‍मू-कश्‍मीर में रहने वाले व्‍यक्ति भी अधिवासी माने जाएंगे। बता दें कि अनुच्छेद 370 का खात्मा बीजेपी के घोषणापत्रों का अहम बिंदु रहता था।

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