Friday, April 26, 2024
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आजादी के बाद पहली बार दी जाएगी किसी महिला को फांसी! जानिए क्या है वजह

अमरोहा के हसनपुर शहर से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी के लोग के जेहन में आज भी 14-15 अप्रैल 2008 की काली रात बिलकुल ताजा है, जब शबनम और सलीम ने वारदात को अंजाम दिया था। शबनम ने अपनी प्रमे सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजूम और बहन राबिया को कुल्हाड़ी से काट दिया था।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 17, 2021 13:03 IST
shabnam to be hanged in meerut jailed first women after independence in India आजादी के बाद पहली बार - India TV Hindi
Image Source : FILE आजादी के बाद पहली बार दी जाएगी किसी महिला को फांसी! जानिए क्या है वजह

मेरठ. आजादी के बाद से अबतक देश में कई पुरुष कैदियों को फांसी दी जा चुकी है लेकिन अभी तक किसी भी महिला कैदी को फांसी नहीं दी गई है।  उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में महिला कैदी शबनम को फांसी देने की तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं। शबनम उत्तर प्रदेश के ही अमरोहा जिले की रहने वाली है और उसने अप्रैल 2008 में अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही 7 घरवालों को कुल्हाड़ी से काट डाला था। कहा जा रहा है कि मथुरा जेल प्रशासन ने शबनम को फांसी देने के लिए रस्सी ऑर्डर कर दी है। बता दें कि शबनम ने निचली अदालत के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था लेकिन सर्वोच्च अदालत ने निचली अदालत का निर्णय बरकरार रखा।

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राष्ट्रपति ने भी खारिज की याचिका

इसके बाद, शबनम और सलीम ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई। शबनम भारत की आजादी के बाद पहली ऐसी महिला होगी जिसे फांसी की सजा दी जाएगी। शबनम फिलहाल बरेली की जेल में बंद है, जबकि सलीम आगरा जेल में कैद है। मथुरा जेल में 150 साल पहले एक महिला फांसी घर बनाया गया था, लेकिन आजादी के बाद से यहां किसी महिला को फांसी नहीं दी गई है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार, फांसी देने की तारीख अभी तय नहीं है। हालांकि उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन ने फांसी की तैयारियां शुरू कर दी हैं और रस्सी का ऑर्डर दे दिया है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम और सलीम को फांसी दे दी जाएगी।

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गांव के लोगों के जेहन में आज भी ताजा है काली रात
अमरोहा के हसनपुर शहर से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी के लोग के जेहन में आज भी 14-15 अप्रैल 2008 की काली रात बिलकुल ताजा है, जब शबनम और सलीम ने वारदात को अंजाम दिया था। शबनम ने अपनी प्रमे सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजूम और बहन राबिया को कुल्हाड़ी से काट दिया था। दोनों ने इस दौरान अपने भतीजे अर्श को भी नहीं बक्शा और उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी। शबनम ने अपने परिवार के इन सदस्यों को सिर्फ इसलिए काट डाला क्योंकि वो सलीम के साथ उसके प्रेम संबंध के रास्ते में बाधा बन रहे थे।

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2 साल 3 महीने तक चली सुनवाई
मामले की सुनवाई अमरोहा की अदालत में दो साल और तीन महीने तक चली थी। जिसके बाद, 15 जुलाई 2010 को, जिला न्यायाधीश एसएए हुसैनी ने फैसला सुनाया कि शबनम और सलीम को मृत्यु तक फांसी दी जानी चाहिए। इस मामले में जिरह के लिए करीब 100 तारीखें पड़ी। फैसले के दिन, न्यायाधीश ने 29 गवाहों के बयानों को सुना और 14 जुलाई, 2010 को शबनम और सलीम दोनों को दोषी ठहराया। अगले दिन, 15 जुलाई, 2010 को, न्यायाधीश एसएए हुसैनी ने दोनों को केवल 29 सेकंड में मौत की सजा सुना दी। इस मामले में 29 लोगों से 649 प्रश्न पूछे गए और निर्णय 160 पृष्ठों में लिखा गया था।

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