Sunday, April 28, 2024
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यूपी चुनाव: बेअसर रही BSP के पक्ष में मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं का बीएसपी को समर्थन का ऐलान बिल्कुल बेअसर साबित हुआ।

Bhasha Bhasha
Updated on: March 12, 2017 19:06 IST
Mayawati | PTI File Photo- India TV Hindi
Mayawati | PTI File Photo

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं का बीएसपी को समर्थन का ऐलान बिल्कुल बेअसर साबित हुआ। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी, प्रमुख शिया धर्मगुरु और ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना कल्बे जव्वाद और पूर्वांचल के कुछ इलाकों में प्रभावशाली मानी जाने वाली राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल समेत कई मुस्लिम संगठनों तथा धर्मगुरुओं ने चुनाव में बीएसपी को समर्थन का एलान करते हुए मुसलमानों से इस पार्टी को वोट देने की अपील की थी।

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प्रदेश के मुस्लिम बहुल जिलों में रामपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बरेली, आजमगढ़, मऊ, शाहजहांपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ तथा अलीगढ़ प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन जिलों की कुल 77 सीटों में से बीएसपी को कुल जमा 5 सीटों पर ही जीत हासिल हुई। उलेमा का कहना है कि मायावती के अहंकार, समर्थन के बावजूद उनके द्वारा धर्मगुरुओं की उपेक्षा और बीजेपी की मुस्लिम वोट बांटने की सफल कोशिश की वजह से बीएसपी को मुस्लिम बहुल सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। 

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रामपुर, सहारनपुर और मुरादाबाद में बुरी तरह हारी बहुजन समाज पार्टी

रामपुर में करीब 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, मगर यहां की 5 में से एक भी सीट पर बीएसपी नहीं जीत सकी। पार्टी का यही हाल सहारनपुर और मुरादाबाद में भी रहा। सहारनपुर की सातों और मुरादाबाद की सभी 9 सीटों पर बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। यहां तक की देवबंद जैसी खांटी मुस्लिम बहुल सीट पर भी मौलानाओं की अपील का कोई असर नहीं हुआ और वहां भी बीएसपी हार गई। मुरादाबाद में ज्यादातर सीटों पर वह तीसरे नम्बर पर रही। 

अमरोहा, बरेली और शाहजहांपुर में भी बीएसपी का हाल बेहाल
अमरोहा में भी बसपा 4 में से एक भी सीट नहीं जीत सकी और यहां भी वह ज्यादातर तीसरे स्थान पर रही। बरेली की 9 सीटों में से सभी में बसपा को करारी पराजय का सामना करना पड़ा। शाहजहांपुर की सभी 6 सीटों पर बसपा तीसरे स्थान पर रही। शामली की तीन सीटों में से शामली सदर सीट पर बसपा पांचवीं पायदान पर रही। इसके अलावा कैराना में वह चौथे नम्बर तथा थानाभवन में दूसरे नम्बर पर रही। मुजफ्फरनगर की सभी 6 सीटों पर बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। 

आजमगढ़ में ठीक-ठाक रहा प्रदर्शन
आजमगढ़ की 10 सीटों में से सगड़ी, लालगंज, मुबारकपुर तथा दीदारगंज सीट पर बसपा जीत सकी। मऊ की सदर सीट को छोड़कर बाकी सभी तीन सीटों पर बीएसपी को हार का सामना करना पड़ा। मेरठ और अलीगढ़ की भी सभी सात-सात सीटों पर बीएसपी की बुरी हार हुई। 

मायावती के अहंकार ने उन्हें हराया: मौलाना आमिर रशादी
राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने अपनी पार्टी तथा अन्य मुस्लिम धर्मगुरुओं की बीएसपी के समर्थन में अपील के बावजूद पार्टी को मुसलमानों के बाहुल्य वाले इलाकों में हार के कारण गिनाते हुए कहा कि मायावती के अहंकार, उनके द्वारा मुस्लिम धर्मगुरओं की उपेक्षा तथा बीजेपी के मुस्लिम वोट बांटने में कामयाब रहने से बीएसपी को मुस्लिम बहुल इलाकों में पराजय का सामना करना पड़ा। 

मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील का फायदे की बजाय नुकसान!
कुल मिलाकर, जो तस्वीर सामने आयी है उसमें मुस्लिम धर्मगुरुओं की बीएसपी के पक्ष में समर्थन की अपील फायदे के बजाय उसके लिये नुकसानदेह ही साबित हुई है। वर्ष 2007 में प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर अपने उत्कर्ष पर पहुंची बीएसपी इस बार के विधानसभा चुनाव में महज 19 सीटों के साथ रसातल में पहुंच गई।

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