
Green shoots of economic revival have emerged, will grow further
नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था में सुधार एवं वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए अनुकूल नीतिगत उपायों के साथ आने वाले समय में और तेजी से सुधार की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की जून में जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत की वृद्धि दर शून्य से नीचे 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। यह अप्रैल, 2020 में जारी आईएमएफ के अनुमान के मुकाबले 6.4 प्रतिशत अंक कम है।
आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जून महीने के लिए जारी वृहत आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 संक्रमण को लेकर जारी अनिश्चितता और दुनिया भर के अन्य देशों में वृहत आर्थिक मंदी को देखते हुए आईएमएफ ने वैश्विक वृद्धि के अनुमान को कम कर (-) 4.9 प्रतिशत कर दिया है। यह अप्रैल, 2020 के मुकाबले 1.9 प्रतिशत अंक कम है। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि मई और जून में आर्थिक स्थिति में सुधार के शुरुआती संकेत दिखे हैं।
बिजली और ईंधन खपत, वस्तुओं का एक राज्य के भीतर और एक राज्य से दूसरे राजयों में आने-जाने, खुदरा वित्तीय सौदों जैसे क्षेत्रों में तेजी देखी जा रही है। इसमें कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निनवेश (एफडीआई), पोर्टफोलियो निवेश बढ़ने और तेल के दाम में नरमी रहने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 19 जून को 505.6 अरब डॉलर पहुंच गया। इससे किसी प्रकार के बहारी झटके से निपटने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह भी जून में 90,917 करोड़ रुपए रहा, जो मई के मुकाबले 46 प्रतिशत और अप्रैल के मुकाबले 181 प्रतिशत अधिक है। इसके अनुसार मार्च में सरकार और आरबीआई के कदम से नीतिगत माहौल अनुकूल बना। दोनों महामारी फैलने के मद्देनजर आर्थिक नरमी का सही अंदाज लगाने में कामयाब रहे। इसके अलावा आर्थिक नीति के मार्चे पर बदलाव के साथ प्रोत्साहन पैकेज से सुधारों को ऐसे समय गति मिली है, जब कोविड-19 संकट ने सरकार के राजकोषीय स्थिति को बिगाड़ा और लोगों की व्यय क्षमता को भी प्रभावित किया।