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वित्‍त मंत्री ने कहा कई जिलों में बैंकिंग सुविधाओं की कमी, HDFC Bank ने की ग्रामीण क्षेत्रों में उपस्थिति बढ़ाने की घोषणा

सीतारमण ने कहा कि आगामी राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी को बैड बैंक नहीं कहा जाना चाहिए, जैसा अमेरिका में कहा जाता है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: September 27, 2021 11:50 IST
HDFC Bank aims to double rural presence, hire 2500 people- India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO

HDFC Bank aims to double rural presence, hire 2500 people

नई दिल्‍ली। देश में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने कहा है कि वह ग्रामीण इलाकों में अपनी पहुंच को दोगुना कर दो लाख गांव तक करेगा। इसके लिए बैंक ने अगले छह माह में 2,500 लोगों को नियुक्‍त करने का भी फैसला किया है। बैंक ने कहा कि उसका लक्ष्य अगले 18-24 महीनों में शाखा नेटवर्क, व्यापार प्रतिनिधियों, सीएससी (साझाा सेवा केंद्रों), भागीदारों, आभासी संबंध प्रबंधन और डिजिटल पहुंच मंचों के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को दोगुना करने का है। उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले रविवार को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों की पहुंच पर निराशा व्यक्त करते हुए उनसे अपनी उपस्थिति को और अधिक बढ़ाने के लिए कहा था।

एचडीएफ़सी बैंक के समूह प्रमुख (वाणिज्यिक और ग्रामीण बैंकिंग) राहुल शुक्ला ने कहा कि भारत के ग्रामीण और अर्द्धशहरी बाजारों में बैंक ऋण का विस्तार कम है। वे भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए स्थायी दीर्घकालिक विकास के अवसर पेश करते हैं। शुक्ला ने कहा कि आगे चलकर बैंक का सपना देश के हर पिनकोड में अपनी सेवाएं उपलब्ध कराना है।

कई जिलों में ऊंची आर्थिक गतिविधियों के बावजूद बैंकिंग सुविधाओं की कमी

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि देश के कई जिलों में बैंकिंग सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने रविवार को इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इन जिलों में आर्थिक गतिविधियों का स्तर काफी ऊंचा है, लेकिन बैंकिंग उपस्थिति काफी कम है। सीतारमण ने बैंकों से कहा कि वे अपनी मौजूदगी को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर करें। उन्होंने बैंकों से कहा कि उनके पास विकल्प है कि वे यह तय कर सकते हैं कि गली-मोहल्ले में छोटे स्तर के मॉडल के जरिये कहां बैंकिंग मौजूदगी दर्ज कराने की जरूरत है।

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह डिजिटलीकरण और प्रयासों के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आज बैंकों का बही-खाता अधिक साफ-सुथरा है। इससे सरकार पर बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का बोझ कम होगा। सीतारमण ने कहा कि आगामी राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी को बैड बैंक नहीं कहा जाना चाहिए, जैसा अमेरिका में कहा जाता है। उन्होंने कहा कि बैंकों को तेज-तर्रार बनने की जरूरत है। उन्हें प्रत्येक इकाई की जरूरत को समझना होगा जिससे 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल किया जा सके। 

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