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Air India को खरीदने की दौड़ में Tata Sons सबसे आगे, 67 साल बाद होगी घर वापसी!

टाटा समूह ने अक्टूबर, 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया का गठन किया था। सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण कर दिया।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : October 01, 2021 15:11 IST
Tata sons wins air india bids- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

Tata sons wins air india bids

नई दिल्‍ली। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाले 110 अरब डॉलर वाले टाटा समूह कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभरी है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि बोली को अभी तक गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने मंजूरी नहीं दी है। इस मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि टाटा संस और स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की वित्तीय बोलियों को कुछ दिन पहले खोला गया और बुधवार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विनिवेश पर सचिवों के मुख्य समूह ने इसकी जांच की। उन्होंने बताया कि आरक्षित निर्धारित मूल्य के मुकाबले बोलियों का मूल्यांकन किया गया और पाया गया कि टाटा की बोली सबसे ऊंची है। उन्होंने कहा कि अब इसे एयर इंडिया के निजीकरण के लिए गठित शाह के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह के सामने रखा जाएगा। वित्त मंत्रालय और टाटा संस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया।

निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार ने अभी तक एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियों को मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने ट्वीट किया एयर इंडिया विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों को मंजूरी देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत हैं। मीडिया को सरकार के फैसले के बारे में बताया जाएगा।

यदि टाटा समूह की बोली स्वीकार कर ली जाती है, तो वह उस राष्ट्रीय विमान वाहक का अधिग्रहण कर लेगा, जिसकी स्थापना उसने ही की थी। जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी। उस समय इस विमानन कंपनी को टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण कर दिया। टाटा पहले से सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर विमानन सेवा विस्तार का परिचालन कर रही है। अभी यह साफ नहीं है कि समूह ने स्वयं या एयर एशिया इंडिया के जरिये बोली लगाई है। ऐसा कहा जाता है कि सिंगापुर एयरलाइंस निजीकरण की प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर उत्सुक नहीं है। सरकार एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। इसमें एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली एआई एक्सप्रेस लि.और 50 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लि. शामिल हैं।

डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्‍टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (दीपम) द्वारा जनवरी 2020 में जारी अभिरुचि पत्र में कहा गया है कि एयरलाइन पर 31 मार्च, 2019 तक कुल 60,074 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था। नए खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये का कर्ज वहन करना होगा। शेष कर्ज को एक स्‍पेशल पर्पज व्‍हीकल एयर इंडिया असेट होल्डिंग लिमिटेड को ट्रांसफर किया जाएगा। एयरइंडिया 2007 से ही घाटे में चल रही है, जब इसका विलय घरेलू परिचालक इंडियन एयरलाइंस के साथ किया गया था।   

बोली जीतने वाले सफल ग्राहक को घरेलू एयरपोर्ट पर 4400 घरेलू और 1800 अंतरराष्‍ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग स्‍लॉट के साथ ही साथ अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर 900 स्‍टॉल का नियंत्रण भी हासिल होगा। इसके अलावा सफल खरीदार को एयर इंडिया एक्‍सप्रेस की 100 प्रतिशत हिस्‍सेदारी और एआईएसएटीएस की 50 प्रतिशत हिस्‍सेदारी भी हासिल होगी, जो प्रमुख भारतीय एयरपोर्ट पर कार्गो एवं ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस प्रदान करती है।

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