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रुपया 45 पैसे टूटकर ₹88 प्रति डॉलर के करीब पहुंचा, जानें क्यों संभल नहीं पा रहा इंडियन करेंसी

रुपया टूटने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था, आम जनता और बिजनेस जगत पर होगा। रुपये में कमजोरी आने से विदेशों से आयत करना महंगा होगा। इसके चलते जरूरी वस्तुओं की कीमत बढ़ सकती है। यानी महंगाई का बोझ आप पर बढ़ेगा।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Feb 10, 2025 11:04 IST, Updated : Feb 10, 2025 11:04 IST
Rupee Falling
Photo:FILE रसातल में रुपया

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया टूटकर 88 प्रति डॉलर के करीब पहुंच गया है। रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले में करीब 2 रुपये की गिरावट आ चुकी है। वहीं, 2024 के मुकाबले अब तक देखें तो 6 रुपये की गिरावट आ चुकी है। आपको बता दें कि विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख के बीच रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में 45 पैसे टूटकर 87.95 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 87.94 प्रति डॉलर पर खुला और शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले 87.95 के सर्वकालिक निचले स्तर तक फिसल गया, जो पिछले बंद भाव से 45 पैसे की गिरावट दर्शाता है। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.50 पर बंद हुआ था। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ 108.28 पर रहा। 

आज क्यों टूटा रुपया?

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सभी इस्पात और एल्यूमीनियम आयातों पर 25 प्रतिशत का नया शुल्क लगाने की घोषणा के बाद डॉलर सूचकांक 108 पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि इस कदम से वैश्विक व्यापार युद्ध को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि चीन के भी पारस्परिक शुल्क लागू हो गए हैं। इसका असर भारतीय रुपये पर देखने को मिला। भारतीय रुपये एक बार फिर टूट गया। 

कच्चा तेल भी हुआ महंगा 

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.63 प्रतिशत चढ़कर 75.13 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 470.39 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। 

करेंसी की कीमत बढ़ने और घटने का गणित समझें

 

विदेशी मुद्रा बाजार में किसी भी मुद्रा की कीमत मुद्रा की मांग और उसकी आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होती है। यह उसी तरह है जैसे बाजार में किसी अन्य उत्पाद की कीमत निर्धारित होती है। जब किसी उत्पाद की मांग बढ़ती है जबकि उसकी आपूर्ति स्थिर रहती है, तो इससे उपलब्ध आपूर्ति को सीमित करने के लिए उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है। दूसरी ओर, जब किसी उत्पाद की मांग गिरती है जबकि उसकी आपूर्ति स्थिर रहती है, तो इससे विक्रेताओं को पर्याप्त खरीदारों को आकर्षित करने के लिए उत्पाद की कीमत कम करनी पड़ती है। वस्तु बाजार और विदेशी मुद्रा बाजार के बीच एकमात्र अंतर यह है कि विदेशी मुद्रा बाजार में वस्तुओं के बजाय मुद्राओं का अन्य मुद्राओं के साथ विनिमय किया जाता है।

रुपया टूटने का क्या होगा असर?

रुपया टूटने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था, आम जनता और बिजनेस जगत पर होगा। रुपये में कमजोरी आने से विदेशों से आयत करना महंगा होगा। इसके चलते जरूरी वस्तुओं की कीमत बढ़ सकती है। यानी महंगाई का बोझ आप पर बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, आयातक को अक्टूबर में 1 डॉलर के लिए 83 रुपये चुकाने पड़ते थे, लेकिन अब 86.61 रुपये खर्च करने होंगे। भारत बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का आयात करता है। डॉलर की मजबूती से कच्चे तेल का आयात करना महंगा होगा। इससे व्यापार घाटा बढ़ेगा। रुपये के कमजोर होने से विदेशी निवेशक शेयर बाजार से पैसा निकालते हैं। इसका असर अभी दिखाई दे रहा है। रुपया टूटने से विदेश यात्रा या विदेश में पढ़ाई का बजट बढ़ेगा। वहीं, रुपये के कमजोर होने से भारत के निर्यातकों को फायदा होता है, क्योंकि उनके उत्पाद विदेशी बाजार में सस्ते हो जाते हैं।

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