Influencers Guidelines: सरकार के बताए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन होने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 और कानून के अन्य प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है।
इंश्योरेंस एक्सपर्ट का कहना है कि कॉम्बो पॉलिसी पेश करने पर बीमा कंपनियों का खर्च कम होगा। इंश्योरेंस कंपनियों को पॉलिसी मैनेज में आने वाली लागत में कमी आएगी।
हेल्थ इंश्योरेंस में अलग से क्रिटिकल इलनेस प्लान जोड़ते हैं। इनमें किडनी और स्ट्रोक की तरह लगभग 50 बीमारी शामिल हैं।
आमतौर पर हम सब हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बारे में सोचते हैं, लेकिन इससे जुड़ी बातों न जानने पर हम इसे लेने पर हाथ खींच लेते हैं। इसके साथ ही प्रतिस्पर्धा के इस युग में सही हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव करना भी जरूरी है, जिससे आगे आप परेशानी में न आये।
जो लोग पुराने समय से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले चुके हैं उन्हें समय रहते इसे स्विच करने की जरूरत है। लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को स्विच करते समय पोर्ट और माइग्रेशन को नहीं करें नजरअंदाज। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को कब और क्यों करें स्विच। यहां जानिए इन दोनों के फायदे और नुकसान।
यह सौदा पूरा होने के बाद टेमासेक की मणिपाल हेल्थ एंटरप्राइजेज में हिस्सेदारी बढ़कर 59 प्रतिशत हो जाएगी। उसके पास पहले ही मणिपाल हेल्थ की 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं पई परिवार की हिस्सेदारी 50 से घटकर 30 प्रतिशत रह जाएगी।
टेमासेक होल्डिंग्स के हिस्सेदारी अधिग्रहण का सौदा संपन्न होने पर भारतीय चिकित्सा जगत का सबसे बड़ा सौदा साबित होगा। पिछले साल मैक्स हेल्थकेयर में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी को केकेआर ने खुले बाजार में करीब 9,100 करोड़ रुपये में बेचा था।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय अधिकतर लोग नियम और शर्तें पढ़ना भूल जाते हैं। अगर आप भी अपने परिवार में किसी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले हैं तो इसमें सब लिमिट को चेक करना ना भूलें। यहां जानिए हेल्थ इंश्योरेंस में सब लिमिट क्या होता है और इसे चेक करना क्यों है जरूरी।
Health News: भारत सरकार ने हाल ही में एक ऐसा विधेयक पारित किया है, जिसने देश के आम नागरिकों की हेल्थ बजट को हिलाकर रख दिया है। केंद्र सरकार ने हेल्थ से रिलेटेड कुछ जरूरी प्रोडक्ट पर शुल्क बढ़ा दिया है। आइए पूरी खबर जानते हैं।
Health Industry News: देश में करीब चार महीने बाद संक्रमण के इतने अधिक मामले एक साथ देखने को इस महीने मिले हैं। इससे निपटने के लिए सरकार से लेकर प्राइवेट संस्थान अपने-अपने स्तर पर कोशिश करने में लगे हुए हैं।
अगर पॉलिसी होल्डर के पास एक से ज्यादा पॉलिसी हैं तो सभी इंश्योरर पॉलिसी के तहत क्लेम को समान रूप से साझा कर सकते हैं।
मेडीक्लेम पॉलिसी हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है, वही अगर हम इसके रिन्युअल के समय कुछ बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो बाद में हमें बड़ा पछतावा होता है। आज हम आपको ऐसी बातें बताने वाले हैं, जिनका ध्यान आपको मेडीक्लेम पॉलिसी का रिन्युअल कराते समय रखना है, जिससे बाद में आपको पछतावा न हो।
पहले से हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद भी कुछ बीमारियां ऐसी है जिसके लिए अलग से पैसे देने होते हैं। इस से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस में अलग से क्रिटिकल इलनेस प्लान जोड़ते हैं। इसमें कई तरह की गंभीर बीमारियां कवर हो जाती को क्रिटिक हो। इनमें किडनी और स्ट्रोक की तरह लगभग 50 बीमारी शामिल हैं।
Health Budget 2023: इस बजट में सरकार ने देश की आम जनता के हेल्थ का खास ध्यान रखा है। यही कारण है कि इस बार का बजट 2022-23 में आवंटित की गई 79,145 करोड़ रुपये की राशि की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत अधिक है।
Health Budget 2023: केंद्रीय वित्त मंत्र निर्मला सीतारमण आज अपना अंतिम पूर्ण बजट पेश कर रही हैं। हेल्थ केयर इंडस्ट्री के लिए यह बेहद खास है। यही कारण है कि सरकार ने इस बार पिछले साल की तुलना में अधिक फंड आवंटित किए हैं।
Education Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज अपना अंतिम पूर्ण बजट पेश कर रही हैं। इस बजट के साथ वह देश की पहली ऐसी महिला हो गई हैं, जिसने देश का आम बजट 5 बार पेश किया हो।
इस बार का बजट कई मायनों में ख़ास होने वाला है। सरकार का ध्यान हेल्थ पर अधिक रहेगा, क्योंकि अभी भी कोरोनावायरस के अलग-अलग वेरिएंट मिलते रहते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि पिछला 5 साल हेल्थ बजट के लिहाज़ से कैसा रहा है?
देश का आम बजट जल्द ही आने वाला है, वहीं इस आम बजट से सब लोग उम्मीदें लगाये बैठे हैं। शिक्षा क्षेत्र भी बड़ी उम्मीद के साथ बजट की ओर देख रहा है, वहीं आज हम आपको पिछले 4 वर्षों के एजुकेशन बजट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
स्वास्थ्य बीमा को उन पहली पॉलिसी की लिस्ट आता है, जिसे एक कमाई करने वाले व्यक्ति को निवेश यात्रा शुरू करने से पहले ही खरीदना चाहिए। जीवन अनिश्चित है और अचानक स्वास्थ्य संकट आर्थिक और भावनात्मक दोनों रूप से व्यक्ति को कमजोर कर देता है।
कोरोना की महामारी के चलते देश के हेल्थ सिस्टम पर पड़े दबाव ने हेल्थकेयर इंडस्ट्री की कमजोरी को उजागर किया है। ऐसे में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए साल 2023-24 का बजट बहुत खास माना जा रहा है।
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