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Masan Holi 2025: बनारस में मसान होली कब मनाई जाएगी? जानें यहां रंग की जगह चिता की राख से क्यों खेली जाती है होली

Banaras Masane Ki Holi 2025: शिव नगरी काशी में मसान होली के दिन चिता की राख से होली खेली जाती है। इसे 'मसाने की होली' के नाम से भी जाना जाता है। बनारस की 'मसाने की होली' का दृश्य बेहद ही अद्भुत और भक्तिमय वाला होता है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Mar 03, 2025 16:06 IST, Updated : Mar 03, 2025 16:06 IST
काशी मसान होली 2025
Image Source : INDIA TV काशी मसान होली 2025

Masane Ki Holi: 'खेले मसाने में होरी दिगंबर...' काशी यानी बनारस में रंग-गुलाल और अबीर से नहीं बल्कि चिताओं की राख से होली खेली जाती है। काशी की इस होली को मसाने की होली या मसान होली के नाम से जाना जाता है।  बनारस के हरिश्चंद्र घाट में महाश्मशान नाथ की आरती के बाद  'मसाने की होली' की शुरुआत होती है। मसान होली के दिन साधु-संत और शिव भक्त भगवान शिव की पूजा के बाद चिता की राख से होली खेलते हैं। इस दौरान मणिकर्णिका घाट 'हर-हर महादेव' के जयकारों से गूंज उठता है। धार्मिक मान्यता है कि चिता की भस्म से होली खेलने पर सुख-समृद्धि और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं कि इस साल बनारस में मसान होली कब खेली और इसे मनाने की परंपरा की शुरुआत कब हुई थी। 

मसान होली 2025 कब है?

इस साल बनारस में मसान होली 11 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। बता दें कि बनारस में रंगभरी एकादशी के दिन से होली उत्सव का आरंभ हो जाता है। रंगभरी एकादशी से लेकर पूरे 6 दिनों तक यहां होली होती है। मसाने की होली रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मसान होली के दिन काशी के हरिश्चंद्र और मर्णिकर्णिका घाट पर भगवान शिव अपने गणों के साथ विचित्र होली खेलते हैं। 

मसान होली क्यों मनाई जाती है? 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव मां गौरी का गौना कराने के बाद उन्हें काशी लेकर आए थे। इसके बाद उन्होंने अपने गणों से साथ गुलाल-अबीर के साथ होली खेली थी। लेकिन भगवान शिव भूत-प्रेत, यक्ष, गंधर्व और प्रेत आदि के साथ होली नहीं खेल पाए थे। तब महादेव ने रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भूत-पिशाचों के साथ होली खेली थी। तब से ही काशी में 'मसाने की होली' मनाने की परंपरा शुरू हुई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काशी में देवों के देव महादेव भगवान शिव स्वयं होली खेलने आते हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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