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महाकुंभ में धार्मिक स्थल के अलावा इन ऐतिहासिक जगहों का करें भ्रमण

महाकुंभ जा रहे हैं तो यहां संगम तट के आसपास ऐसे कई सारे ऐतिहासिक स्थल हैं जिन्हें आपको एक बार जरूर देखना चाहिए।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 20, 2025 11:11 IST, Updated : Jan 20, 2025 11:11 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : FILE PHOTO प्रयाग के कुछ ऐतिहासिक स्थल

प्रयाग को धार्मिक ग्रंथों में तीर्थों का राजा कहा गया है। जिस कारण यहां संगम तट से लेकर अक्षय वट तक कई बड़े धार्मिक और पौराणिक स्थल हैं। महाकुंभ भी प्रयागराज में लगता है, जिस कारण इस शहर की शोभा और बढ़ जाती है। यह शहर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से भरा हुआ है। अगर आप धार्मिक स्थलों पर जाने की सोच रहे हैं तो आप लेटे हुए हनुमानजी, नागवासुकी, अलोपी मंदिर और अक्षय वट के दर्शन जरूर करें। अगर ये जगह आप घूम चुके हैं तो आप प्रयागराज के कुछ ऐतिहासिक स्थल भी घूम सकते हैं, जो काफी फेमस हैं...

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खुसरो बाग

खुसरो बाग एक बड़ा ऐतिहासिक स्थल हैं, जहां जहांगीर के बेटे खुसरो और सुल्तान बेगम के मकबरे भी बने हुए हैं। ये मकबरे बलुई पत्थर से मुगल वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण हैं। इस बाग का डिजाइन आका रजा को जाता है, जो जहांगीर के दरबार में कलाकार थे।

इलाहाबाद किला

इलाहाबाद का किला मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में करवाया था।  यह किला यमुना के तट पर गंगा के संगम पास बना हुआ है। अकबर ने इस किले का नाम इलाहाबास रखा था जिसका अर्थ होता है अल्लाह द्वारा आशीर्वादित, जो बाद में इलाहाबाद हो गया। यह किला अकबर द्वारा बनवाया गया सबसे बड़ा किला है।

स्थानीय किदवंतियां है कि अकबर बार-बार किले का निर्माण करने में असफल रहा, क्योंकि हर बार नींव रेत में धंस जाती। फिर किसी ने अकबर को बताया गया कि आगे बढ़ने के लिए एक मानव बलि देनी होगी। इसके बाद एक ब्राह्मण ने स्वेच्छा से अपनी बलि दी, और बदले में, अकबर ने अपने वंशजों से प्रयागवालों को संगम पर तीर्थ यात्रियों की सेवा करने का अधिकार दिया। 

आनंद भवन

आनंद भवन नेहरू परिवार का पुराना आवास है, जो अब संग्रहालय के रूप में है। इसका निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था, बाद में इसे कांग्रेस कार्यों के लिए स्थानीय मुख्यालय बना दिया गया।

भारद्वाज आश्रम

माना जाता है कि यह आश्रम ऋषि भारद्वाज का आश्रम है, पौराणिक कथा के मुताबिक, इसी आश्रम में ऋषि भारद्वाज ने पुष्पक विमान का डिजाइन बनाया था और निर्माण भी करवाया था। 

चंद्रशेखर पार्क

साल 1931 में इसी पार्क में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चंद्र शेखर आजाद को अंग्रेजों द्वारा गोलीबारी में वीरगति मिली थी। आजाद की उम्र उस समय महज 24 साल थी।

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