Jitiya Mata Ki Aarti PDF:जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन जितिया माता की पूजा की जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इसी व्रत के प्रताप से पांडवों के पुत्र परीक्षित को जीवनदान मिला था। इस दिन किया गया व्रत संतान को जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है। वहीं जिन दंपत्तियों के संतान नहीं है उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत के साथ ही माता जितिया की आरती का पाठ भी आपको अवश्य करना चाहिए। आइए जान लेते हैं माता जितिया की आरती के बारे में।
जितिया माता की आरती
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी.
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप.
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली.
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी.
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा.
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी.
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै.
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन
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जितिया व्रत की दूसरी आरती
जय जय जय जितिया महारानी।
तुम हो सब जीवों की माता, हर लेती हो दुःख सब प्राणी।
जय जय जय जितिया महारानी।
तुम्हारे व्रत से संतानें, निरोगी और लंबी उम्र पाएं।
सुख-समृद्धि का वास हो घर में, तुम ऐसी कृपा बरसाएं।
जय जय जय जितिया महारानी।
जो नारी श्रद्धा से पूजे, तुम्हारी महिमा अपरम्पार।
हर संकट से रक्षा करती, और भरती खुशियों का संसार।
जय जय जय जितिया महारानी।
सत्यवादी राजा जीमूतवाहन की, महिमा है तुम से जुड़ी।
तुम्हारी कृपा से ही हुई, उस राजा की यश की घड़ी।
जय जय जय जितिया महारानी।
तुम हो दुःखहर्ता, सुखकर्ता, तुम हो जीवन की दात्री।
तुम्हारी पूजा से पावन हो, हर घर की जननी और गात्री।
जय जय जय जितिया महारानी।