Friday, December 19, 2025
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Mangal Pradosh Vrat 2025: मंगल प्रदोष व्रत की पावन कथा और शुभ मुहूर्त

Mangal Pradosh 2025 Vrat Katha, Shubh Muhurat: आज मंगल प्रदोष व्रत है। जिसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का प्रदोष काल मुहूर्त 05:24 पी एम से 08:07 पी एम तक रहेगा।

Written By: Laveena Sharma @laveena1693
Published : Dec 02, 2025 08:36 am IST, Updated : Dec 02, 2025 08:36 am IST
mangal pradosh vrat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV मंगल प्रदोष व्रत कथा

Mangal Pradosh 2025 Vrat Katha, Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा बताई गई है। कहते हैं इस व्रत को रखने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। वहीं भौम प्रदोष व्रत रखने से ग्रहों से संबंधित नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाते हैं। 2 दिसंबर 2025 को भौम प्रदोष यानी मंगल प्रदोष व्रत है। पंचांग अनुसार त्रयोदशी तिथि 2 दिसंबर की दोपहर 03:57 से 3 दिसंबर की दोपहर 12:25 तक रहेगी। चलिए अब जानते हैं मंगल प्रदोष व्रत की कथा और मुहूर्त।

मंगल प्रदोष व्रत मुहूर्त 2 दिसंबर 2025

आज मंगल प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।

मंगल प्रदोष व्रत कथा

मंगल प्रदोष व्रत की कथा अनुसार एक नगर में एक वृद्धा रहती थी जिसका एक ही पुत्र था। वृद्धा हनुमान जी की उपासना करती थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत किया करती थी। एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची। हनुमान जी साधु का वेश लेकर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे कि है कोई हनुमान भक्त! जो हमारी इच्छा पूर्ण कर सके? आवाज सुन वृद्धा बाहर आई और साधु को प्रणाम कर बोली- आज्ञा महाराज!

साधु के वेश में हनुमान जी बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तुम थोड़ी जमीन लीप दो। वृद्धा हाथ जोड़कर बोली- महाराज! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी।साधु ने वृद्ध स्त्री से तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा - तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई लेकिन अब वह प्रतिज्ञाबद्ध थी इसलिए कुछ नहीं कर सकती थी इसलिए उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु को सौंप दिया।

वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलाई। वृद्धा दुखी मन से घर के अंदर चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाया और कहा- उनका भोजन बन गया है। वृद्धा पुत्र को खोने की वजह से दुख में डूबी हुई थी। साधु के रूप में हनुमान जी ने कहा कि तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोजन कर लें। इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न दें। लेकिन जब साधु महाराज नहीं मानें तो वृद्धा ने अपने पुत्र को पुकारा। वह अपनी मां के पास आ गया। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा साधु के चरणों में गिर पड़ी।

तब हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को आशीर्वाद दिया। मान्यताओं अनुसार जो भी मंगल प्रदोष व्रत रखता है उसे ऋण से मुक्ति, भूमि-भवन आदि विवादों से निवारण और उसके शारीरिक बल में वृद्धि होती है। इस व्रत को करने से मंगल ग्रह से सम्बन्धित नकारात्मक प्रभाव भी खत्म हो जाते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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