Friday, April 26, 2024
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पूर्व हॉकी कोच ने किया खुलासा, जब ध्यानचंद ने हिटलर से कहा था बिकाऊ नहीं है भारत

1936 ओलम्पिक में, भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों ने अविश्वसनीय माहौला बना दिया था, उन्होंने बर्लिन में खचाखच भरे स्टेडियम में शानदार प्रदर्शन जो किया था।

IANS Reported by: IANS
Published on: August 10, 2020 13:46 IST
Indian Hockey legend Dhyanchand- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Indian Hockey legend Dhyanchand

नई दिल्ली| तारीख 15 अगस्त भारतीयों के जेहन में सर्वोच्च मुकाम रखती है क्योकि 1947 में इसी तारीख को भारत ने आजादी पाई थी, लेकिन इससे 11 साल पहले 1936 में विश्व के एक और कोने में भारतीय पताका जमकर लहराई थी। 1936 ओलम्पिक में, भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों ने अविश्वसनीय माहौला बना दिया था, उन्होंने बर्लिन में खचाखच भरे स्टेडियम में शानदार प्रदर्शन जो किया था।

सेमीफाइनल में फ्रांस को भारतीय टीम का कहर झेलना पड़ा था खासकर, मेजर ध्यानचंद का, जिन्होंने टीम के 10 में से चार गोल किए थे। इसके बाद 15 अगस्त को भारत और जर्मनी के लिए मंच तैयार था। टीम के अंदर हालांकि माहौल तनावपूर्ण था क्योंकि उस मैच को देखने जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर आने वाला था और उनके अलावा 40,000 जर्मन लोग स्टेडियम में भारतीय खिलाड़ियों देखने वाले थे।

मैच वाले दिन ध्यानचंद ने अपना जलवा दिखाया और इसके बाद जो हुआ वो ओलम्पिक स्वर्ण पदक से भी ज्यादा मायने रखता है।

भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच अली सिबाटियन नकवी ने आईएएनएस से कहा, "दादा ध्यानचंद थे जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था, उहोंने जर्मनी के खिलाफ छह गोल किए थे और भारत ने यह मैच 8-1 से जीता था। हिटलर ने दादा ध्यानचंद को सलाम किया और उन्हें जर्मनी की सेना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया।"

उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान हुआ था और दादा कुछ देर शांत रहे, खचाखच भरा स्टेडियम शांत हो गया और डर था कि अगर ध्यानचंद ने प्रस्ताव ठुकरा दिया तो हो सकता कि तानाशाह उन्हें मार दे। दादा ने यह बात मुझे बताई थी उन्होंने हिटलर के सामने आंखे बंद करने के बावजूद सख्त आवाज में कहा था कि 'भारत बिकाऊ नहीं है'। "

उन्होंने कहा, "हैरानी वाली बात यह थी कि पूरे स्टेडियम और हिटलर ने हाथ मिलाने के बजाए उन्हें सलाम किया और कहा, जर्मन राष्ट्र आपको आपके देश और राष्ट्रवाद के प्यार के लिए सलाम करता है। उनको जो हॉकी का जादूगर का तमगा मिला था वो भी हिटलर ने दिया था। ऐसे खिलाड़ी सदियों में एक होते हैं।"

नकवी ने अपने जमाने की हॉकी और आज की हॉकी में अंतर बताते हुए कहा, भारत की मौजूदा टीम ऑस्ट्रेलियाई और यूरोपियन प्रशिक्षकों के हाथ में है और अब वह यूरोपियन स्टाइल में ही खेलने लगी है। उन्होंने कलात्मक हॉकी को बदल दिया है और मुख्य रूप से फिजिकल फिटनेस पर निर्भर हो गए हैं।"

उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलियाई कोच उन्हें यूरोपियन और भारतीय स्टाइल की हॉकी सिखा रहे हैं और इसलिए वो सफल हैं लेकिन भारत की मौजूदा टीम के साथ समस्या यह है कि उनका प्रदर्शन निरंतर नहीं है। यह कुछ अहम मैचों में देखा गया है और वह अंत के पलों में मैच हार जाते हैं।"

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भारत इस समय विश्व रैंकिंग में नंबर-4 पर है। नकवी के मुताबिक भारतीय टीम अगले साल होने वाले ओलम्पिक खेलों में अपना ताज वापस पाने के काबिल है।

उन्होंने कहा, "हां, मनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली युवा टीम इसकी काबिलियत रखती है। वह मेरे पसंदीदा खिलाड़ी भी हैं। ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि टीम शीर्ष-4 में रहेगी, बाकी किस्मत।"

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