जब यह खेल लगभग अपना अस्तित्व खोने जा रहा था और अज्ञात भविष्य की ओर धकेल दिया गया था तभी कुछ अच्छे लोगों ने इस खेल को पहचान दिलाने का बीड़ा उठाया। कुछ दिनों पहले जो खेल रेतीली जमीन पर खेला जाया करता था एकाएक रंगीन कालीन में खेला जाने लगा। यही थी प्रो-कबड्डी लीग की शुरुआत जिसने लगभग सभी को रोमांचित किया।
अर्जुन पुरस्कार विजेता व पूर्व कप्तान बिश्वजीत पलित का मानना है कि इस खेल को इतना बढ़ावा मिलना चाहिए कि युवा इस ओर आकíषत हों।
पलित ने आईएएनएस से कहा, " लीग ने खेल को पहचान दिलाई है। इस खेल को सबसे ज्यादा प्रमोशन की आवश्यकता थी और अब हमारे पास यह बहुतायत में है। कबड्डी जिस जगह आज पहुंच गई है शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह खेल यहां तक का सफर तय करेगा। "
पलित ने कहा, "मैं देख रहा हूं यह खेल धीरे धीरे फैल रहा है और अब यह स्कूलों में भी खेला जाने लगा है। लीग को गजब की प्रतिक्रिया मिली है। आप देख सकते हैं कि हमेशा लीग में फुल हाऊस रहता है।"
पलित ने भारतीय टीम की कप्तानी 1986 एशियन कप में की थी। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता था।
पलित चाहते हैं कि इस खेल को जिलों में भी बढ़ावा दिया जाए और वे आशा करते हैं कि यहां से ज्यादा से ज्यादा युवा आएंगे और कबड्डी में भाग लेंगे।
उन्होंने कहा, " जड़ पर ध्यान देने की जरूरत है। खेल को बढ़ावा देने वा जिलों में फैलाने की जरूरत है। इसीलिए हम वहां स्थानीय लीग चलाने का प्रयास कर रहे हैं।"
महिला टीम के द्वारा सफलता अíजत करने पर अर्जुन पदक विजेता रामा सरकार ने कहा कि यह खेल है जहां महिलाएं सफलता के मामले में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली हैं। वह चाहती हैं कि महिलाएं आगे आएं और इस खेल का हिस्सा बनें।
उन्होंने कहा, " पिछले चार से पांच सालों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। अब हमने मैट पर अभ्यास करना शुरू कर दिया है। इससे पहले हमें धूल में अभ्यास करना पड़ता था। बहुत कुछ बदल गया है और खेल में हर दिन के साथ और रुचि आ रही है।"
सरकार ने कहा कि पीकेएल स्टाइल वुमन्स लीग भी जल्द ही शुरू होगी।