Thursday, May 02, 2024
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Tokyo Olympics 2020: हॉकी में पदक का इंतजार खत्म, रेसलर दहिया ने दिलाया सिल्वर मेडल

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल तो पहलवान रवि दहिया ने सिल्वर मेडल जीता।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: August 05, 2021 19:58 IST
Tokyo Olympics 2020: medal drought ends in indian hockey,...- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Tokyo Olympics 2020: medal drought ends in indian hockey, wrestler ravi dahiya wins silver medal

भारत के लिये गुरूवार का दिन दोहरी खुशियां लेकर आया जिसमें पुरूष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर मॉस्को से शुरू हुआ 41 साल का इंतजार खत्म किया तो पहलवान रवि कुमार दहिया ने देश को तोक्यो ओलंपिक में दूसरा रजत पदक दिलाया लेकिन पदक की उम्मीद मानी जा रही विनेश फोगाट और दीपक पूनिया का 'पोडियम' पर पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो पाया।

पुरूष हॉकी टीम ने पिछड़ने के बाद जबर्दस्त वापसी करते हुए रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे प्ले-ऑफ मैच में जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलंपिक में कांसे का तमगा जीता। दहिया पुरुषों के 57 किग्रा भार वर्ग में रूसी ओलंपिक समिति के मौजूदा विश्व चैंपियन जावुर युगुएव से 4-7 से हार गये जिससे उनकी देश के सबसे युवा ओलंपिक चैंपियन बनने की उम्मीद भी पूरी नहीं हो सकी। 23 वर्षीय दहिया इससे पहले युगुएव से 2019 में विश्व चैंपियनशिप में भी नहीं जीत पाये थे। दहिया कुश्ती में ओलंपिक रजत पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन गये हैं और यह भारत का कुश्ती में कुल छठा पदक है।

हत्या के आरोप में अभी जेल की सजा काट रहे सुशील कुमार ने लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक जीता था। तोक्यो खेलों में इस तरह भारत ने पांच पदक जीत लिये है। भारोत्तोलन में मीराबाई चानू ने देश को पहला रजत जबकि बैडमिंटन में पीवी सिंधू और मुक्केबाजी में लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य पदक जीते। भारत अभी पदक तालिका में 65वें स्थान पर है।

आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय हॉकी टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही। आखिरी पलों में ज्यों ही गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को मिली पेनल्टी को रोका, भारतीय खिलाड़ियों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई।

हॉकी के गौरवशाली इतिहास को नये सिरे से दोहराने के लिये मील का पत्थर साबित होने वाली इस जीत ने पूरे देश को भावुक कर दिया। इस रोमांचक जीत के कई सूत्रधार रहे जिनमें दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट), हार्दिक सिंह (27वां मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वां मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह (31वां मिनट) तो थे ही लेकिन आखिरी पलों में पेनल्टी बचाने वाले गोलकीपर श्रीजेश भी शामिल हैं।

भारतीय हॉकी टीम 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीती है। मॉस्को से तोक्यो तक के सफर में बीजिंग ओलंपिक 2008 के लिये क्वॉलीफाई नहीं कर पाने और हर ओलंपिक से खाली हाथ लौटने की कई मायूसियां शामिल रहीं।

दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे। मध्यांतर तक दोनों टीमें 3-3 से बराबर थी। भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन ने ना सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी हार के बावजूद भारतीय टीम अपने बाकी चारों ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही। टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजदू 2-5 से हार झेलनी पड़ी।

भारत को कुश्ती में पूनिया और विशेषकर महिला वर्ग में विनेश से काफी उम्मीदें थी लेकिन ये दोनों पदक जीतने में नाकाम रहे। पूनिया को पुरुषों के 86 किग्रा के प्ले-ऑफ में सैन मरिनो के माइलेस नज्म अमीन के खिलाफ बढ़त बनाने के बावजूद हार झेलनी पड़ी। सैन मारिनो के पहलवान ने उन्हें अंतिम 10 सेकेंड में पटखनी देकर यह मुकाबला जीता। दीपक का रक्षण पूरे मुकाबले के दौरान शानदार था लेकिन सैन मरिनो के पहलवान ने मुकाबले के अंतिम क्षणों में भारतीय पहलवान का दायां पैर पकड़कर उन्हें गिराकर निर्णायक दो अंक हासिल किये।

पदक की प्रबल दावेदार विनेश को महिलाओं के 53 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में बेलारूस की वेनेसा कालादजिन्सकाया ने चित्त करके बाहर किया। विनेश के पास वेनेसा के मजबूत रक्षण का कोई जवाब नहीं था। वेनेसा ने इसके साथ ही इस साल युक्रेन में भारतीय खिलाड़ी के खिलाफ इसी तरह की शर्मनाक हार का बदला चुकता कर दिया।

विनेश ने तब वेनेसा को गिराकर ‘बाय फॉल’ से जीत दर्ज की थी। युवा अंशु मलिक 57 किग्रा वर्ग में रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता रूस की वालेरा कोबलोवा के खिलाफ रेपेशॉज मुकाबले में 1-5 की हार के साथ पदक की दौड़ से बाहर हो गई। भारत की स्वर्ण पदक की उम्मीद अब बजरंग पूनिया पर टिकी है जो शुक्रवार को किर्गीस्तान के अरनजार अखमातालीव से भिड़ेंगे।

महिलाओं में अब केवल सीमा बिस्ला को ही मुकाबले में उतरना है। वह 50 किग्रा में ट्यूनीशिया की सारा हमदी के खिलाफ शुरुआत करेगी। भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान खशाबा जाधव थे। उन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक हासिल किया।

लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने भी कांस्य पदक जीता था। वहीं साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में कांस्य का तमगा हासिल किया था। गोल्फ में महिला गोल्फर अदिति अशोक ने दूसरे दिन में शानदार प्रदर्शन जारी रखा जिससे वह संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर चल रही हैं। 23 साल की गोल्फर ने दूसरे दौर में पांच बर्डी से पांच अंडर 66 का कार्ड खेला जिससे उनका कुल स्कोर नौ अंडर 133 है।

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+एक अन्य भारतीय गोल्फर दीक्षा डागर संयुक्त 53वें स्थान पर चल रही हैं। एथलेटिक्स में भारत के संदीप कुमार अच्छी शुरुआत के बाद पिछड़ने के कारण 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा में 23वें स्थान पर रहे जबकि अनुभवी केटी इरफान और राहुल ने भी निराश करते हुए क्रमश: 47वां और 51वां हासिल किया।

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