Saturday, April 27, 2024
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75th Independence Day: टोक्यो ओलंपिक में मीराबाई चानू ने खत्म किया था 21 साल का सूखा, वेटलिफ्टिंग से बनाई एक नई पहचान

75th Independence Day: टोक्यो ओलंपिक की 49 किलोग्राम वर्ग वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में मीराबाई चानू ने इतिहास रचा था। उन्होंने इन ओलंपिक खेलों में भारत के लिए पहला और ऐतिहासिक सिल्वर मेडल जीता था।

Priyam Sinha Written By: Priyam Sinha @@PriyamSinha4
Updated on: August 11, 2022 12:38 IST
मीराबाई चानू- India TV Hindi
Image Source : TWITTER मीराबाई चानू

Highlights

  • मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में जीता था सिल्वर मेडल
  • वेटलिफ्टिंग में मीराबाई ने भारत को 21 साल बाद दिलाया था ओलंपिक मेडल
  • मीराबाई चानू वेटलिफ्टिंग में भारत की पदक जीतने वाली दूसरी महिला

75th Independence Day: देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस दौरान पिछले 75 सालों में देश के नाम दर्ज हुई हर उपलब्धि को याद किया जा रहा है। आजाद भारत में जितना उपलब्धियां पुरुषों के नाम हैं उतना ही योगदान महिलाओं का भी रहा है। कर्णम मल्लेश्वरी से लेकर पीवी सिंधू तक कईयों का नाम इस सूची में शामिल है। लेकिन इस सूची में एक ऐसा नाम भी अब जुड़ गया है जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद अपनी एक नई पहचान बनाई। वह नाम है भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू का।

24 जुलाई 2021 का दिन ओलंपिक के इतिहास में भारत के लिए हमेशा यादगार रहेगा। इसी दिन टोक्यो ओलंपिक की 49 किलोग्राम वर्ग वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में मीराबाई चानू ने इतिहास रचा था। उन्होंने इन ओलंपिक खेलों में भारत के लिए पहला और ऐतिहासिक सिल्वर मेडल जीता था। मीराबाई चानू ने क्लीन एंड जर्क में 115 किलो और स्नैच में 87 किलो सहित कुल 202 किलोग्राम वजन उठाकर रजत पदक अपने नाम किया था। वह ओलंपिक के पहले दिन मेडल जीतने वाली पहली महिला बनी थीं। इसके अलावा वह भारत के लिए वेटलिफ्टिंग में ओलंपिक मेडल जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी बनीं। उनसे पहले 2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

मीरीबाई चानू वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता के दौरान

Image Source : GETTYIMAGES
मीरीबाई चानू वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता के दौरान

मीराबाई चानू की यह उपलब्धि साधारण नहीं थी। भारत का यह वेटलिफ्टिंग में सिर्फ दूसरा मेडल ही था। उन्होंने देश के लिए 21 साल का सूखा खत्म करते हुए टोक्यो में इतिहास रचा था। टोक्यो ओलंपिक के बाद भी चानू की उपलब्धियों का दौर थमा नहीं। उन्होंने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भी अपनी कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने यहां कुल 201 किलो वजन उठाया। स्नैच राउंड में उन्होंने 88 किलो और क्लीन एंड जर्क में 113 किलो का वजन उठाकर कैटेगरी रिकॉर्ड भी बना लिया। चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार दूसरी बार गोल्ड मेडल जीता। इससे पहले उन्होंने 2018 गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। 

कैसे वेटलिफ्टिंग की तरफ बढ़ी चानू की दिलचस्पी?

मीराबाई चानू के जीवन से जुड़ी एक कहानी हमेशा सामने आती है। बताया जाता है कि वह बचपन से एक तीरंदाज बनने का सपना देखती थीं। लेकिन पढ़ाई के दौरान एक बार 8वीं कक्षा के एक चैप्टर ने चानू के सपने और मन दोनों को बदल दिया। तीरंदाज के तौर पर ट्रेनिंग न मिलने के बाद जब वह स्कूल लौटीं तो उन्होंने किताब में भारत की महान वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी की कहानी पढ़ी। बस यहीं से उनका मन बदल गया और उन्होंने वेटलिफ्टर बनने का फैसला किया। बाद में उन्होंने पूर्व इंटरनेशनल वेटलिफ्टर अनीता चानू से कोचिंग भी ली।

मीराबाई चानू सिल्वर मेडल के साथ

Image Source : GETTYIMAGES
मीराबाई चानू सिल्वर मेडल के साथ

मीराबाई चानू का जन्म इम्फाल के नोंगपोक काकचिंग गांव में 8 अगस्त, 1994 को हुआ था। वह एक साधारण परिवार से थीं। कहा जाता है कि अक्सर वह खाना बनाने के लिए चूल्हे की लकड़ी लेने के लिए जाती थीं। उनके बारे में यह भी प्रसिद्ध है कि महज 12 साल की उम्र से ही वह बड़े-बड़े लकड़ी के गट्ठर उठा लिया करती थीं। किसे पता था कि लकड़ी उठाते-उठाते ये 12 साल की लड़की एक दिन पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करेगी। इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर पिछले 75 सालों में भारत के नाम जो उपलब्धियां दर्ज हुईं उनमें से एक मीराबाई चानू का ओलंपिक मेडल है।

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