शोहरत की बुलन्दी पल भर का तमाशा है, जिस शाख पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
कल कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने भी बशीर बद्र को उद्धृत करते हुए कहा था कि दुश्नमी जमकर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा नहीं हों...
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