पिछले साल तक डिस्कॉम पर जेनको का बकाया मुख्य रूप से क्षेत्र की पूरी मूल्य श्रृंखला को प्रभावित कर रहा था।
सरकार इस समय घटती कमाई के साथ कई आर्थिक चुनौतियों से गुजर रही है। इस बीच केंद्र के लिए बिजली वितरण कंपनियों की ओर से काफी अच्छी खबर आई है। कंपनियों का बकाया घट गया है।
हरियाणा में डिस्कॉम कंपनी ने अपने उपभोक्ताओं को डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए वह ऐसी कई शानदार योजनाओं पर काम कर रहे हैं।
POSOCO ने इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX), पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया (PXIL) और हिंदुस्तान पावर एक्सचेंज (HPX) को 13 राज्यों की वितरण कंपनियों के कारोबार को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया है।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक,मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है।
मंत्रालय ने कहा कि रेटिंग एजेंसी के त्रुटिपूर्ण अनुमान की वजह से नुकसान के आंकड़े को 90,000 करोड़ रुपये पर पहुंचा दिया गया है, जो काफी बढ़ाकर दिखाया गया लगता है।
मई, 2021 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 68,762 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 84,691 करोड़ रुपये थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज के तहत इस योजना की घोषणा की थी।
केंद्र सरकार ने मई 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये के नकदी पैकेज की घोषणा की थी, जिसके तहत उन्हें पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और आरईसी लिमिटेड से किफायती दरों पर ऋण मिलेगा।
आंकड़ों के अनुसार, बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाये में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। सार्वजनिक उपक्रमों में एनटीपीसी का अकेले वितरण कंपनियों पर 14,110.26 करोड़ रुपये का बकाया है।
कंपनियों ने कहा कि 31 मार्च 2020 तक उनके राजस्व की कुल कमी बढ़कर 50 हजार करोड़ रुपये के पार चली गयी। इसमें बीआरपीएल के 28,623 करोड़ रुपये, बीवाईपीएल के 19,213 करोड़ रुपये और टीपीडीडीएल के 3,810 करोड़ रुपये शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं को किसी भी अन्य खुदरा वस्तुओं की तरह प्रदर्शन के आधार पर अपने बिजली आपूर्तिकर्ता को चुनने का अधिकार होना चाहिए। उनके मुताबिक सरकार बिजली को उद्योग के हिस्से के रूप में नहीं बल्कि इसे एक अलग क्षेत्र के रूप में देखती है।
बिजली उत्पादक कंपनियों का वितरण कंपनियों पर बकाया नवंबर 2020 में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1,41,621 करोड़ रुपये पहुंच गया।
इसके अनुसार वितरण कंपनियां सभी ग्राहकों को 24 घंटे भरोसेमंद बिजली देंगी। हालांकि बिजली नियामक कृषि जैसे कुछ श्रेणी के ग्राहकों के लिये कम घंटे की बिजली की व्यवस्था तय कर सकते हैं।
बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया अक्टूबर, 2020 में सालाना आधार पर 29 प्रतिशत बढ़कर 1,38,187 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
वितरण कंपनियों के ऊपर कुल बकाया सितंबर महीने 1.38 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। बिजली उत्पादक कंपनियां वितरण इकाइयों को विद्युत आपूर्ति बिलों के भुगतान के लिये 45 दिन का समय देती है। उसके बाद बकाया पिछला बकाया बन जाता है और उत्पादक कंपनियां उस पर ब्याज जोड़ती हैं।
बिजली उत्पादन कंपनियों का बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बकाया अगस्त 2020 में 37 प्रतिशत बढ़कर 1.33 लाख करोड़ रुपये हो गया
बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर फरवरी 2020 तक बिजली उत्पादन कंपनियों का 92,602 करोड़ रुपये बकाया
बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों का कुल बकाया नवंबर, 2019 में सालाना आधार पर करीब 45 प्रतिशत बढ़कर 81,085 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली उत्पादक कंपनियों का कुल बकाया अक्टूबर 2019 में सालाना आधार पर करीब 48 प्रतिशत बढ़कर 81,010 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
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