मोदी सरकार टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों पर लगातार सख्ती बरत रही है। स्विस बैंक की ओर से खाताधारकों का डेटा मिलने से सरकार को कदम उठाने में आसानी होगी। इससे टैक्स चोर आसानी से पकड़ में आ जाएंगे। वहीं, देश के बाहर कालाधन भेजना आसान नहीं होगा।
Black Money in Swiss Bank:भारत में कालेधन का मुद्दा लंबे समय से छाया रहा है। कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान भाजपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। स्विस में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से लेकर योग गुरु बाबा रामदेव तक ने बड़ा आंदोलन किया था।
भारतीय लोगों और कंपनियों का स्विस बैंकों में जमा धन 2020 में 13 साल के उच्चस्तर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक या 20,700 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
मोदी सरकार को काले धन के खिलाफ लड़ाई में एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच कालेधन की सूचना संधि के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई) की नई व्यवस्था के तहत अपने नागरिकों के स्विस बैंक खातों की दूसरी सूची स्विट्जरलैंड सरकार से हासिल हो गई है।
स्विस बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों की जांच के घेरे में एक शाही घराना भी आ चुका है।
स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के करीब एक दर्जन निष्क्रिय खातों के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया है। ऐसे में यह आशंका बन रही है कि इन खातों में पड़े धन को स्विट्जरलैंड सरकार को स्थानांतरित किया जा सकता है।
जांच एजेंसियों ने पंजाब नैशनल बैंक (PNB) में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े नीरव मोदी और उसकी बहन के चार बैंक खातों को स्विट्जरलैंड में फ्रीज कर दिया गया है।
हसन अली खान का जन्म 1953 में हैदराबाद में हुआ। पिता एक्साइज अफसर थे। हसन की पढ़ाई-लिखाई हैदराबाद में ही हुई। 70 के दशक में अली के परिवार की आर्थिक हालत काफी खस्ता थी।
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