
नियामी (नाइजर): नाइजर में करीब 2 वर्षों से जारी गृह संघर्ष के बीच सैन्य जुंटा नेता अब्दुर्रहमान त्चियानी ने राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण किया है। इस प्रकार जुंटा नेता ने अब पूरी तरह से देश की कमान को अपने हाथ में ले लिया है। जुंटा नेता अब्दुर्रहमान त्चियानी को पांच साल की संक्रमणकालीन अवधि के लिए नाइजर के राष्ट्रपति के रूप में बुधवार को शपथ दिलाई गई।
बता दें कि जुंटा नेता अब्दुर्रहमान त्चियानी नाइजर के संविधान का स्थान लेने वाले नये चार्टर के तहत इस पद पर आसीन हुए हैं। सरकार के महासचिव महामने रूफई के अनुसार, पांच साल की ‘‘अनुनेय’’ संक्रमणकालीन अवधि बुधवार से शुरू हुई। वह राजधानी नियामी में एक समारोह में बोल रहे थे, जिसमें हाल ही में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में अनुशंसित नये संक्रमणकालीन शासन चार्टर को मंजूरी दी गई।
2023 में हुआ था तख्तापलट
नाइजर में अगस्त 2023 में सेना द्वारा तख्तापलट कर दिया गया था। इसके बाद से ही दक्षिण अफ्रीकी देशों से तनाव चरम पर पहुंच गया। सैन्य तख्तापलट के बाद अफ्रीकी देशों ने नाइजर की सेना को 1 हफ्ते के अंदर राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को बहाल करने की समय सीमा दी थी। ऐसा नहीं करने पर नाइजर आर्मी को अफ्रीकी देशों ने सैन्य कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी। इसके बावजूद बजौम की बहाली नहीं की गई। इसके बाद अफ्रीकी देशों ने लोकतंत्र की बहाली के लिए नाइजर में सेना भेजने का आदेश दिया था। हालांकि जुंटा ने साफ कहा था कि अफ्रीकी देशों ने अगर एक भी सैनिक नाइजर भेजा तो उन सबको मार दिया जाएगा। साथ ही बजौम को भी। इसके बाद अफ्रीकी देशों ने सैन्य ताकत का इस्तेमाल नहीं किया।
अमेरिका भी नहीं सुलझा पाया मुद्दा
अफ्रीकी देशों द्वारा नाइजर में अतिरिक्त सेना की बहाली के पहले नाइजर के जुंटा ने एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक से कहा था कि अगर पड़ोसी देशों ने बजौम के शासन को बहाल करने के लिए किसी भी सैन्य हस्तक्षेप का प्रयास किया तो वे उन्हें (बजौम को) मार देंगे। यह स्पष्ट नहीं है कि बल कब और कहां तैनात होगा और 15-सदस्यीय समूह के कौन से देश इसमें योगदान देंगे। नाइजर में सेना ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम का 2023 में तख्तापलट कर दिया था। बजौम ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद से ही उनको नजरबंद रखा गया है। (एपी)