Thursday, May 02, 2024
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भारत को खतरा? अब हिंद महासागर पर है चीनी नौसेना की नजर

भारत के समुद्री क्षेत्र के बेहद पास चीन की सेना के बेड़े की बढ़ती मौजूदगी को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच चीन की नौसेना की नजर अब हिंद महासागर पर है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 11, 2017 16:22 IST
Chinese Navy | AP Photo- India TV Hindi
Chinese Navy | AP Photo

बीजिंग: भारत के समुद्री क्षेत्र के बेहद पास चीन की सेना के बेड़े की बढ़ती मौजूदगी को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच चीन की नौसेना की नजर अब हिंद महासागर पर है। चीन की नौसेना हिंद महासागर में सुरक्षा बनाए रखने के लिए भारत से हाथ मिलाना चाहती है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के अधिकारियों ने तटीय शहर झानजियांग में अपने कूटनीतिक दक्षिण सागर बेड़े SSF अड्डे पर पहली बार भारतीय पत्रकारों के एक ग्रुप से बात करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए हिंद महासागर एक साझा स्थान है।

चीन के SSF के डिप्टी चीफ ऑफ जनरल ऑफिस कैप्टन लियांग तियानजुन ने कहा, ‘मेरी राय में चीन और भारत हिंद महासागर की सुरक्षा में संयुक्त योगदान दे सकते हैं।’ उनकी यह टिप्पणी तब आई है जब चीनी नौसेना ने अपनी वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर विस्तार की योजना शुरू की है। लियांग ने हिंद महासागर में चीन के युद्धपोतों और पनडुब्बियों की बढ़ती गतिविधियों पर भी स्पष्टीकरण दिया। चीन ने हिंद महासागर में ‘होर्न ऑफ अफ्रीका’ के जिबूती में पहली बार नौसैन्य अड्डा स्थापित किया है। विदेशी समुद्र क्षेत्र में चीन के पहले नौसैन्य अड्डे का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह साजोसामान का केंद्र बनेगा और इससे क्षेत्र में समुद्री डकैती रोकने, संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियान चलाने और मानवीय राहत पहुंचाने वाले अभियानों को सहयोग मिलेगा।

उन्होंने कहा कि जिबूती अड्डा चीन के नौसैनिकों के लिए आराम करने का स्थान भी बनेगा। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि चीन के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक दबदबे के बीच सैन्य अड्डा बनाना वैश्विक पहुंच बढ़ाने की PLAN की महत्वाकांक्षा का हिस्सा है। लियांग ने कहा, ‘हिंद महासागर बहुत बड़ा सागर है। क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता बनाने में योगदान देने के वास्ते यह अंतराष्ट्रीय समुदाय के लिए साझा स्थान है।’ PLAN के युद्धपोत युलिन पर भारतीय मीडिया से हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बारे में उन्होंने कहा कि चीन की सेना का रुख रक्षात्मक है ना कि आक्रामक। इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि चीन कभी अन्य देशों में घुसपैठ नहीं करेगा लेकिन अन्य देशों द्वारा अवरुद्ध भी नहीं होगा।

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