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"बुरी चीजें होने वाली हैं", डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को लेकर अफगानिस्तान को दी चेतावनी

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है। ट्रंप ने बगराम एयरबेस का नियंत्रण अमेरिका को वापस करने की मांग की है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Sep 21, 2025 06:43 am IST, Updated : Sep 21, 2025 07:13 am IST
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप- India TV Hindi
Image Source : PTI अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से बगराम एयरबेस का नियंत्रण अमेरिका को वापस करने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वे उनकी मांग नहीं मानते हैं तो "बुरी चीजें होने वाली हैं।" 

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर एक पोस्ट में लिखा, "अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को इसे बनाने वालों, संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस नहीं देता है, तो बुरी चीजें होने वाली हैं!!!"

"हम उसे जल्द ही वापस चाहते हैं"

बगराम एयरबेस पर ट्रंप ने अपने बयान में कहा, "हम अभी अफगानिस्तान से बात कर रहे हैं और हम उसे वापस चाहते हैं, और हम उसे जल्द ही वापस चाहते हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि मैं क्या करने वाला हूं।"

अमेरिकी सैनिकों की वापसी 

2021 में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से बगराम एयरबेस पर तालिबान सरकार का नियंत्रण है। ट्रंप ने बार-बार कहा है कि वह इस एयरबेस को अपने पास रखते, क्योंकि अफगानिस्तान और चीन की सीमा के पास इसकी रणनीतिक अहमियत बहुत ज्यादा है।

हाल ही में लंदन यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अमेरिका इस एयरबेस को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, "हम अफगानिस्तान को छोड़ने वाले थे, लेकिन हम इसे पूरी ताकत और सम्मान के साथ छोड़ने वाले थे, और हम बगराम को, जो दुनिया के सबसे बड़े एयरबेस में से एक है, अपने पास रखने वाले थे।"

टोलो न्यूज के अनुसार, अमेरिकी कांग्रेस के कई सदस्यों ने भी बगराम एयरबेस को फिर से हासिल करने के ट्रंप के रुख का समर्थन किया है, इसे रणनीतिक और सही बताया है।

ट्रंप की टिप्पणियों पर चीन का रुख

इस बीच, चीन ने ट्रंप की टिप्पणियों को खारिज कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है और अफगानिस्तान का भविष्य उसके लोगों के हाथों में होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में टकराव को बढ़ावा देने में जनता का समर्थन नहीं है।

तालिबान सरकार की प्रतिक्रिया?

तालिबान सरकार ने इस पर आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, इससे पहले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने कहा था, "अफगानिस्तान की एक इंच जमीन भी विदेशी सैन्य उपस्थिति के लिए स्वीकार्य नहीं है। यह संदेश राष्ट्रपति ट्रंप और अन्य देशों तक पहुंचना चाहिए। बातचीत केवल राजनीतिक और आर्थिक होगी।" 

विदेश मंत्रालय के दूसरे राजनीतिक विभाग के प्रमुख जाकिर जलाली ने भी इसी विचार को दोहराते हुए कहा था, "अफगानों ने पूरे इतिहास में कभी भी सैन्य उपस्थिति स्वीकार नहीं की है। दोहा समझौते में इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, लेकिन अन्य प्रकार की बातचीत के द्वार खुले हैं।" ये बयान हाल के महीनों में रूस द्वारा अफगानिस्तान में सैन्य उपस्थिति फिर से स्थापित करने के पश्चिमी प्रयासों, खासकर अमेरिका द्वारा, के बारे में बार-बार दी गई चेतावनियों के बीच आए हैं।

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