Friday, December 13, 2024
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'मेडिकल के पीजी कोर्सेज में दाखिले के लिए अब केवल ऑनलाइन होगी काउंसलिंग, कॉलेजों को पहले से घोषित करनी होगी फीस'

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यानी NMC की तरफ से हाल ही में जारी किए "स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियम, 2023" नोटिफिकेशन के मुताबिक मेडिकल में दाखिले के लिए काउंसलिंग अब केवल ऑनलाइन माध्यम से होगी। इसके मुताबिक कॉलेजों को हर कोर्स के लिए फीस को पहले से ही घोषित करना होगा।

Reported By : PTI Edited By : IndiaTV Hindi Desk Published : Jan 07, 2024 18:49 IST, Updated : Jan 07, 2024 18:49 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : PEXELS प्रतीकात्मक फोटो

मेडिकल में दाखिले के लिए काउंसलिंग अब केवल ऑनलाइन माध्यम से होगी। कॉलेजों को प्रत्येक कोर्स के लिए फीस को पहले से ही घोषित करना होगा और कोई भी कॉलेज अपने दम पर प्रवेश नहीं दे सकेंगे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग  यानी NMC की तरफ से हाल ही में अधिसूचित किये गए "स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियम, 2023" में यह जानकारी दी गई। विनियम के अनुसार, सभी पीजी सीट के लिए अलग-अलग चरण के परामर्श राज्य या केंद्रीय परामर्श अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किए जाएंगे। 

"संबंधित परीक्षाओं की योग्यता लिस्ट के आधार पर होगी काउंसलिंग"

नए नियमों में कहा गया कि भारत में सभी मेडिकल संस्थानों के लिए चिकित्सा में पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए सामान्य काउंसलिंग केवल संबंधित परीक्षाओं की योग्यता सूची के आधार पर होगी। नियम में कहा गया, "सभी सीट के लिए सभी चरणों की काउंसलिंग राज्य या केंद्रीय काउंसलिंग प्राधिकरण द्वारा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की जाएंगे और कोई भी मेडिकल कॉलेज/संस्थान स्वयं किसी को भी दाखिला नहीं देगा।" यह भी कहा गया, "सीट मैट्रिक्स में विवरण दर्ज करते समय मेडिकल कॉलेज को प्रत्येक कोर्स के लिए फीस का उल्लेख करना होगा, ऐसा न करने पर सीट की गणना नहीं की जाएगी।" 

"बेहतर प्रशिक्षण के लिए डीआरपी में किया गया एक और बदलाव"

एनएमसी के पीजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ विजय ओझा ने बताया कि परीक्षा प्रणाली में भी कुछ बदलाव किए गए हैं विश्वविद्यालय परीक्षाओं में रचनात्मक मूल्यांकन और बहुविकल्पीय प्रश्नों को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, "यह बदलाव परीक्षा में निष्पक्षता लाने और अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर करने के लिए किया गया है।" छात्रों के बेहतर प्रशिक्षण के खातिर इसके कार्यान्वयन की सुविधा के लिए "डिस्ट्रिक रेजीडेंसी कार्यक्रम (डीआरपी)" में एक और बदलाव किया गया है। जिला अस्पताल को पहले 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के रूप में परिभाषित किया गया था। डॉ ओझा ने बताया कि नए नियमों में आवश्यकता को घटाकर 50 बिस्तर कर दिया गया है। इसके अलावा कई अन्य बदलाव किए गए हैं।

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