भारत में आईएएस अधिकारी बनना केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्र निर्माण से जुड़ा एक बड़ा दायित्व माना जाता है। हर साल लाखों युवा इस सपने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन केवल कुछ ही लोग इस मुकाम तक पहुंच पाते हैं। ऐसे में जब कोई वरिष्ठ और सफल आईएएस अधिकारी अपनी सुरक्षित, सम्मानजनक और स्थिर नौकरी छोड़कर किसी दूसरी राह पर चलने का फैसला करता है तो यह लोगों को चौंकाता है और अगर वह राह फिल्म निर्माण जैसी रचनात्मक दुनिया की हो तो हैरानी और भी बढ़ जाती है। आज जिस शख्स की कहानी आप पढ़ रहे हैं, उसने सिनेमा के प्रति अपने जुनून के लिए ऐसा ही आश्चर्यजनक कदम उठाया।
जब IAS को हुआ सिनेमा प्रेम
यह कहानी है पापा राव बियाला की, एक ऐसे व्यक्ति की जिन्होंने तीन दशक लंबे प्रभावशाली प्रशासनिक करियर को पीछे छोड़कर अपने भीतर छिपे कलाकार को सामने आने का मौका दिया। कभी बीवीपी राव के नाम से पहचाने जाने वाले पापा राव 1982 बैच के आईएएस अधिकारी थे। उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर काम किया। 1994 से 1997 तक असम के गृह सचिव रहे, 1999 में संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत कोसोवो में कार्य किया और बाद में तेलंगाना सरकार में नीति सलाहकार के रूप में कैबिनेट मंत्री स्तर का दायित्व संभाला।

टॉम ऑल्टर ने दिखाई नई राह
एक मजबूत प्रशासनिक करियर के पीछे उनकी रचनात्मक आत्मा लगातार रास्ता खोज रही थी। 90 के दशक के अंत में उनके मित्र, प्रसिद्ध अभिनेता टॉम ऑल्टर ने उन्हें निर्देशक जाह्नू बरुआ से मिलवाया। यहीं से फिल्मी सफर की शुरुआत हुई। इसके बाद पापा राव ने 1996 में न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी से फिल्म निर्माण में डिप्लोमा किया। उनकी पहली डॉक्यूमेंट्री ‘विलिंग टू सैकरीफाइस’ ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता, जिसने यह साबित कर दिया कि वे केवल एक नौकरशाह नहीं, बल्कि संवेदनशील और समझदार फिल्मकार भी हैं।
जब प्रशासन से हुआ मोहभंग
हालांकि डॉक्यूमेंट्री के बाद वे फिर अपने प्रशासनिक करियर में लौट आए, लेकिन फिल्मों के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। 2020 में उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण से इस्तीफा देकर पूरी तरह फिल्म निर्माण को अपना लिया। 2023 में उनकी पहली फीचर फिल्म ‘म्यूजिक स्कूल’ रिलीज हुई, जिसमें श्रिया सरन और शरमन जोशी मुख्य भूमिकाओं में थे। यह फिल्म बच्चों की रचनात्मकता और शिक्षा प्रणाली के दबाव के बीच जूझते संतुलन को दर्शाती है। भावनात्मक प्रस्तुति के लिए समीक्षकों और दर्शकों ने इसे सराहा, हालांकि प्रचार की कमी और बड़े सितारों के अभाव के कारण फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो सकी।
पापा राव का दृष्टिकोण
एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि जहां प्रशासनिक भूमिकाओं में प्रधानमंत्री की यात्रा से लेकर आपात स्थितियों की योजनाएं बनानी पड़ती थीं, वहीं फिल्म निर्माण की प्रक्रिया उन्हें अपेक्षाकृत कम जटिल लगती है। अब वे पूरी तरह फिल्म निर्माण में सक्रिय हैं और अपनी अगली फिल्म की तैयारी कर रहे हैं, हालांकि अभी उन्होंने इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
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