बॉलीवुड में अब तक दर्जनों सिंगर ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपनी कला से लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। ये सिंगर्स भले ही इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनके गाने और संगीत उनकी मौजूदगी का सबूत देते हैं। एक ऐसे ही सिंगर बॉलीवुड में हुए जो जन्म से ही दृष्टिहीन रहे। लेकिन अपने सुरों से लोगों के दिलों पर राज किया और भक्ति संगीत को हिंदुस्तान के घर-घर तक पहुंचाया। ये संगीतकार कोई और नहीं बल्कि रामायण के गानों को अपनी आवाज देने वाले सिंगर और म्यूजिक कंपोजर रवींद्र जैन हैं।
जन्म से दृष्टिहीन लेकिन संगीत के सरताज
28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जन्मे रवींद्र बचपन से ही दृष्टिहीन रहे हैं। लेकिन रवींद्र के अंदर कला का एक सागर उमड़ता रहा है। साल 1973 में रंवींद्र ने अपनी पहली फिल्म 'सौदागर' की और अपनी कला की फिल्मी दुनिया में एंट्री कराई। हालांकि इस फिल्म के बाद रवींद्र को काम खूब मिलने लगा। पहली फिल्म के बाद 'चोर मचाए शोर', 'शतरंज के मोहरे' और 'गीत गाता चल' जैसी फिल्मों में अपना कमाल का संगीत दिया। साल 1976 में आई फिल्म 'चितचोर' के गानों ने रवींद्र जैन को स्टार बना दिया। इस फिल्म के गाने सुपरहिट रहे। इस फिल्म का गाना 'गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा' सुपरहिट रहा। इस गाने ने धूम मचा दी और रवींद्र को संगीत की दुनिया का सितारा बना दिया।
123 फिल्मों में गाए गाने
इसके बाद रवींद्र जैन ने अपने शानदार संगीत और सुरीली आवाज से लोगों के दिलों पर राज करना शुरू कर दिया। करीब 3 दर्जन से ज्यादा फिल्मों में संगीत और गानों को अपनी सुरीली आवाज से सजाने वाले रवींद्र जैन को बॉलीवुड का सबसे बेहतरीन सिंगर्स में एक माना जाने लगा। रवींद्र जैन ने इस दौरान कई बेहतरीन गाने कई दिल से मुझे, दिल में तुझे बिठाकर, जानेवाले ओ जानेवाले, फकीरा चल चलाचल समेत कई सुपरहिट गानों की झड़ी लगा दी। रवींद्र जैन के कई गाने आज भी संगीत दुनिया में कला की एक मिसाल हैं।
भक्तिगीतों के बने सरताज
रवींद्र जैन ने अपने करियर में 123 से ज्यादा फिल्मों में अपने संगीत की अमिट छाप छोड़ी। करीब 40 साल से लगातार गानों की दुनिया में डूबे रहने वाले रवींद्र जैन को सबसे ज्यादा पहचान उनके भक्तिगीतों ने दिलाई। दूरदर्शन पर प्रसारित हुई रामानंद सागर की रामायण के गानों को रवींद्र जैन ने ही आवाज दी। इन गानों में रवींद्र जैन ने भक्ति की ऐसी मिसाल जलाई कि इनके भजन आज भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं। रवींद्र जैन ने भारत में भक्तिगीतों की अलख जलाई और भक्ति संगीत को घर-घर तक पहुंचाने में मदद की। आज भी रवींद्र जैन के भजन लोगों के घरों में सुनाई देते रहते हैं। साल 2015 में रवींद्र जैन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। रवींद्र जैन को गए अब 10 साल हो गए हैं लेकिन आज भी उनके गाने फैन्स को उनकी याद दिलाते रहते हैं।