Sunday, June 22, 2025
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Kesari Veer Review: सूरज पंचोली का सॉलिड कमबैक, शिव भक्त बन छाए सुनील शेट्टी, जानें कैसी है बहादुर योद्धाओं की कहानी

सुनील शेट्टी, सूरज पंचोली और विवेक ओबेरॉय स्टारर ‘केसरी वीर’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी में कितना दम है, ये जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।

जया द्विवेदी
Published : May 23, 2025 11:38 IST
Kesari Veer
Photo: INSTAGRAM सुनील शेट्टी और सूरज पंचोली।
  • फिल्म रिव्यू: वीर केसरी
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: 23.05.2025
  • डायरेक्टर: प्रिंस धीमन
  • शैली: ऐतिहासिक ड्रामा

‘केसरी वीर’ एक ऐतिहासिक फिल्म है, जो 14वीं शताब्दी में सोमनाथ मंदिर पर हुए हमले और उसकी रक्षा में वीरता दिखाने वाले योद्धाओं की कहानी पर आधारित है। अभिनेता सूरज पंचोली एक लंबे गैप के बाद ‘केसरी वीर ’ से कमबैक कर रहें हैं। सोमनाथ टेंपल पर दर्जन भर से ज्यादा बार हमले हुए। उसमें से जो चौथी बार का हमला था, इसकी कहानी ठीक उसके बारे में ही है। सूरज ने बतौर हमीरजी गोहिल  एक राजपूत राजा का रोल प्ले किया है, जो शिव भक्त योद्धा वेगड़ा जी के साथ मिलकर सोमनाथ मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणकारी जफर खान से लोहा लेता है। फिल्म में सूरज पंचोली के अलावा, सुनील शेट्टी, विवेक ओबेकॉय और आकांक्षा शर्मा राजल लीड रोल में हैं। लंबे प्रमोशन्स के बाद ये फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी और इसके किरदार कैसे हैं जानने के लिए नीचे स्क्रील करें। 

कैसी है कहानी और निर्देशन

फिल्म की मुख्य कहानी हमीर गोहिल (सूरज पंचोली) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मंदिर को क्रूर आक्रमणकारी जफर खान (विवेक ओबेरॉय) से बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा देता है। सुनील शेट्टी मेघराज के रूप में एक महादेव भक्त योद्धा के किरदार में हैं, वहीं आकांक्षा शर्मा राजल के रूप में हमीर की प्रेमिका बनी हैं। फिल्म की शुरुआत एक डिस्क्लेमर के साथ होती है, जिसमें बताया गया है कि इसमें सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है। हालांकि यह रचनात्मक स्वतंत्रता इतनी ज्यादा हो जाती है कि जो दर्शक वीर हमीर जी की वास्तविक कहानी से परिचित हैं, उन्हें शुरुआती दृश्य में ही झटका लगता है। कहानी में रोमांस, इमोशनल ड्रामा और एक्शन जैसे तत्वों को जबरन शामिल करने की कोशिश की गई है, जो दमदार कहानी को उसके ऐतिहासिक मूल उद्देश्य से भटका देती है। फिल्म की कहानी कई हिस्सों में काफी गंभीर भी है, कई हिस्से शानदार हैं खास तौर हमीर और वेंगड़ा की जफर खान के साथ लड़ाई। एक्शन सीन जानदार हैं, जिसमें सभी कलाकार जान फूंक रहे हैं। खास तौर पर आप हमीर और वेंगड़ा को देखना काफी पसंद करेंगे।  

हमीर और राजल का प्रेम प्रसंग, भील सरदार वेगड़ा जी के उत्सव में दिखाया गया अफ्रीकी कबिलाई नृत्य और क्लाइमेक्स में मां का भावुक दृश्य, फिल्म को उसके ऐतिहासिक मूल उद्देश्य से भटका रहे हैं। गंभीर कहानी में ये लय को भंग करते हैं। फिल्म में वो दृश्य जरूर पसंद आएंगे जहां हमीर अपनी जान जोखिम में डालकर मंदिर की रक्षा करता है। इस संघर्ष में हमीर ने क्या-क्या खोया और किन बलिदानों से होकर गुजरा, यही इस कहानी की असल जान है, जो देर से ही सही लेकिन सटीक वक्त पर आती है और फिर फिल्म की कहानी नए और दिलचस्प मोड़ पर आगे बढ़ती है। फिल्म का पहला हिस्सा जरूर निराश करता है, लेकिन दूसरे हिस्से में इतिहास की सही झलक दिखती है। क्लाइमेक्स में युद्ध सीन दमदार है, लेकिन जब वीर हमीर जी द्वारा सिर कलम किए जाने के बाद भी विलेन को मारते हुए दिखाया गया, तो यह दृश्य हद से ज्यादा दिल चीरने वाला लगा है। 

फिल्म की सिनेमैटिक लिबर्टी कुछ हद तक मनोरंजक है, लेकिन कई बार यह हद से ज्यादा लगती है। भील सरदार वेगड़ा जी के उत्सव में अफ्रीकी डांस, और जबरदस्ती डाला गया रोमांस फिल्म की गंभीरता को हल्का कर देता है। VFX भी ठीक ठाक ही हैं। कहानी में निर्देशन ही सबसे कमजोर पार्ट है, लेखन को निखारा नहीं जा पाया है। एक्टर की शानदार परफॉर्मेंस के बावजूद फिल्म 'छावा', 'पदमावत', 'बाजीराव मस्तानी' जैसी फिल्मों की लीग में नहीं आ सकी है।

कैसा है अभिनय

सूरज पंचोली ने हमीरजी गोहिल के किरदार में मेहनत जरूर की है, सूरज हमीर गोहिल के तौर पर उस किरदार में डूबे हुए नजर आते हैं। सूरज ने इस रोल को जस्टिफाई किया है। उन्होंने अपने डिक्शन, फिजिकैलिटी और इमोशन्स पर काम किया है।  सूरज खासतौर पर एक्शन सीक्वेंसेज में अपनी उपस्थिति और प्रतिभा से हर फ्रेम को रोशन करते हैं। उनका अभिनय फिल्म में हर कड़ी को शानदार तरीके से जोड़ता है, जिससे उनका अभिनय फिल्म का सबसे यादगार पहलू बन जाता है। हमीर जी गोहिल के लिए उनका ट्रांसफॉरमेशन कमाल का है, लेकिन कई भावनात्मक दृश्यों में उनकी परफॉर्मेंस थोड़ी कमजोर पड़ती है।

सुनील शेट्टी अपने किरदार में पूरी तरह फिट बैठते हैं और उनका अनुभव फिल्म को गहराई देता है। वो शिव भक्त के रोल में जान फूंक रहे हैं। विवेक ओबेरॉय ने विलेन जफर खान के रूप में जबरदस्त छाप छोड़ी है, उनका अभिनय डरावना और प्रभावशाली है, जो फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी बनता है। आकांक्षा शर्मा का एक्शन सराहनीय है, लेकिन अभिनय में उन्हें अभी और सुधार की जरूरत है।

कैसा है म्यूजिक

संगीत फिल्म का एक मजबूत पक्ष है। 'हर हर शंभू' गाना भावनाओं को छूता है और फिल्म में जान डालता है। गरबा सांग में आकांक्षा और सूरज की केमिस्ट्री अच्छी लगी। हालांकि 'भारत विश्वगुरु' जैसा गाना भी आपको पसंद आएगा।

देखें या नहीं?

‘केसरी वीर’ एक अच्छी कोशिश है जो वीरता की एक प्रेरणादायक कहानी कहने की चाह रखती है, लेकिन सिनेमैटिक लिबर्टी थोड़ी ज्यादा है। ऐतिहासिक गहराई से इतर अगर आप मनोरंजन के लिहाज से फिल्म देखना चाहते हैं तो ये फिल्म वन टाइम वॉच है और अपको इसमें शानदार अभिनय देखने को मिलेगा।

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