बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहल बुर्का पहनी महिलाओं की वोटिंग को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। चुनाव आयोग के साथ मीटिंग में बीजेपी ने बूथ पर बुर्का पहनकर आने वाली महिलाओं की जांच का मुद्दा उठाया है। इस पर विरोधी पार्टी आरजेडी ने आपत्ति भी जताई है।
चुनाव आयोग के साथ राजनीतिक दलों की बैठक
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी के साथ राजनीतिक दलों की कल बैठक हुई। इस बैठक में सियासी दलों ने अपनी-अपनी रणनीति और मांगें टीम के सामने रखीं। जेडीयू ने एक चरण में चुनाव कराने की वकालत की है जबकि बीजेपी ने भी एक या अधिकतम दो चरणों में मतदान की मांग की है।
बुर्का पहनी महिलाओं की पहचान का मुद्दा
बीजेपी ने शनिवार को चुनाव आयोग से विशेष अनुरोध किया है कि मतदान केंद्रों पर बुर्का या पर्दा पहने महिलाओं के चेहरे की पहचान को उनके मतदाता पहचान पत्र (EPIC) से सख्ती से मिलान किया जाए, ताकि केवल वास्तविक मतदाता ही अपना मताधिकार का प्रयोग कर सकें। पार्टी ने साथ ही चुनाव को एक या दो चरणों में संपन्न कराने की भी मांग उठाई है।
बीजेपी अध्यक्ष के नेतृत्व में चुनाव आयोग से मुलाकत
बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अगुवाई में पटना पहुंची। जहां चुनाव आयोग की टीम से बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की।
बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग रोकने की मांग
इस मुलाकात के बाद जायसवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हमने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि विधानसभा चुनाव एक या दो चरणों में कराए जाएं। चरणबद्ध तरीके से चुनाव कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही विशेष रूप से बुर्का पहनकर मतदान करने आने वाली महिलाओं के चेहरे का मिलान उनके ईपीआईसी कार्ड से किया जाए, जिससे फर्जी वोटिंग को रोका जा सके।'
बुर्का मामले पर RJD नेता ने खड़े किए सवाल
इस मांग पर विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तीखा प्रहार किया है। आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसे सियासी साजिश करार देते हुए कहा, 'बीजेपी अपनी सांप्रदायिक राजनीति को चुनावी रंग देना चाहती है। हाल ही में विशेष गहन संशोधन (SIR) के तहत मतदाता सूची को अपडेट किया गया है, जिसमें नई फोटो वाली ईपीआईसी जारी हो रही हैं। पहचान की कोई समस्या नहीं है, लेकिन बीजेपी अल्पसंख्यक महिलाओं को निशाना बनाकर वोट बैंक तोड़ने की कोशिश कर रही है।'
लोकसभा चुनाव में भी उठ चुका ये मुद्दा
यह मुद्दा लोकसभा चुनावों के दौरान भी उठा था, जब दिल्ली बीजेपी ने बुर्का पहनकर वोट डालने वाली महिलाओं की सत्यापन की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में भी स्पष्ट किया था कि धार्मिक भावनाओं के नाम पर बुर्का पहनकर वोटिंग संभव नहीं है और मतदाता पहचान पत्र के लिए फोटो अनिवार्य है।
इन दलों ने चुनाव आयोक के संग की बैठक
बता दें कि चुनाव आयोग ने शनिवार को बिहार के सभी प्रमुख दलों- जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, बसपा, CPI(ML) दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। जेडीयू ने एक ही चरण में चुनाव कराने का सुझाव दिया, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) और सीपीआई(एमएल) ने दो चरणों तक सीमित रखने की बात कही।
जल्द होगा चुनाव की तारीखों का ऐलान
आयोग ने अभी चुनावी कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में 243 सीटों पर वोटिंग होने की संभावना है। यह मांग बिहार की सियासत में नया विवाद पैदा कर सकती है खासकर अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर। बीजेपी का कहना है कि यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने का कदम है, जबकि विपक्ष इसे ध्रुवीकरण का हथियार बता रहा है।
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