
Explainer: पाकिस्तान में पलने वाले आतंक के खिलाफ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर जवाबी हमले किए और पड़ोसी देश के कई एयरबेस और कई अन्य सैन्य ढांचों को निशाना बनाया। इन हमलों के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर जिस बात की चर्चा शुरू हुई वो थी कि भारत ने किराना हिल्स पर हमला किया है, जहां कथित तौर पर पाकिस्तान के परमाणु भंडारण सुविधा है। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स नामक एक NGO द्वारा 2023 में पब्लिश रिपोर्ट में कहा गया था कि किराना हिल्स और आसपास के क्षेत्रों को “सबक्रिटिकल न्यूक्लियर टेस्ट साइट” के रूप में पहचाना गया था।
किराना हिल्स की अभी इतनी चर्चा क्यों?
किराना हिल्स को लेकर भारत के पाकिस्तान के बीच हुए हमले में अचानक लोगों की इस पाकिस्तानी लोकेशन में दिलचस्पी बढ़ गई थी। एक्स पर कई लोगों ने अनुमान लगाया कि भारत ने किराना हिल्स पर हमला किया है, क्योंकि यहां पाकिस्तान के कई परमाणु हथियार हैं। जब एक पत्रकार ने प्रेस ब्रीफिंग में भारतीय वायुसेना के अधिकारी से यही सवाल पूछा कि सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा था कि भारत ने सरगोधा में मुशफ एयरबेस पर हमला किया है, जो कथित तौर पर किराना हिल्स के नीचे भूमिगत परमाणु भंडारण से जुड़ा हुआ है, जिसमें उसने लोइटरिंग और पेनेट्रेटर हथियारों का इस्तेमाल किया है।
प्रेस ब्रीफिंग में एयर मार्शल एके भारती ने इस बात से इनकार किया कि भारत ने किराना हिल्स में किसी न्यूक्लियर फैसिलिटी को निशाना बनाया गया है, सबसे दिलचस्प बात यह है कि एयर मार्शल भारती ने किराना हिल्स में न्यूक्लियर प्रॉपर्टी के अस्तित्व की जानकारी से भी इनकार किया।
'किराना हिल्स क्या है, कहां है और इतना महत्वपूर्ण क्यों है?'
किराना हिल्स पाकिस्तान के सरगोधा जिले में है, जो एक विशाल चट्टानी पर्वत श्रृंखला है और पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के अधीन एक निर्दिष्ट क्षेत्र है। अपने भूरे रंग के भूभाग के कारण इसे अक्सर "ब्लैक माउंटेन" के रूप में जाना जाता है, यह रबवाह की बस्ती और सरगोधा शहर के बीच फैला हुआ है, जो मुशफ एयर बेस का हिस्सा है। किराना हिल्स की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि मुशफ उन एयरबेस में से एक है, जिस पर भारत ने पहले हमला किया था - यह पाकिस्तान वायु सेना का कमांड मुख्यालय है और F-16, JF-16 के विभिन्न स्क्वाड्रन का घर भी है।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, किराना हिल्स में 10 से ज्यादा भूमिगत सुरंगें हैं, इसलिए अटकलें लगाई जाती हैं कि इन सुरंगों का उपयोग पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के भंडारण के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों के बहुत करीब स्थित है, जिसमें सरगोधा एयर बेस, जो केवल 20 किमी दूर स्थित है, और खुशाब परमाणु परिसर (लगभग 75 किमी दूर) शामिल है, जिसकी वजह से इसे काफी संवेदनशील जगह माना जाता है।
2023 में, एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संस्था, बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि किराना हिल्स एक सबक्रिटिकल परमाणु परीक्षण स्थल है जिसका उपयोग पाकिस्तान ने 1983 से 1990 तक अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करने के लिए किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थल में संभवतः गोला-बारूद भंडारण क्षेत्र, TEL (ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर) गैरेज और कम से कम 10 भूमिगत भंडारण सुविधाएं शामिल हैं।
ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने 1970 में रक्षा स्थल के रूप में पहाड़ियों का अधिग्रहण किया और एक रडार स्टेशन स्थापित किया, जो आज भी उपयोग में है। इसके अलावा, ये पहाड़ियां तब प्रमुखता में आईं जब अमेरिकी उपग्रहों ने 1983 और 1990 के बीच पाकिस्तान द्वारा परमाणु परीक्षणों की तैयारियों का पता लगाया। यह भी कहा गया कि यह अपनी महत्ता बनाए रखना जारी रखता है क्योंकि माना जाता है कि चीन द्वारा आपूर्ति की गई एम-11 मिसाइलें वहां संग्रहीत की गई थीं।
अमेरिका स्थित परमाणु वैज्ञानिकों की संस्था बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट ने 2023 की अपनी रिपोर्ट में किराना हिल्स और आस-पास के इलाकों की पहचान सबक्रिटिकल न्यूक्लियर टेस्ट साइट के रूप में की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साइट में गोला-बारूद भंडारण क्षेत्र के साथ ही कम से कम 10 भूमिगत भंडारण सुविधाएं शामिल हैं। इस जगह पर संभावित पारंपरिक युद्ध सामग्री भंडारण के ठीक उत्तर-पश्चिम में 10 संभावित ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) गैरेज और दो अतिरिक्त गैरेज हैं। जहां पारंपरिक युद्धक साजो-सामान रखा गया है, उसके पूर्व में पहाड़ी में एक भूमिगत भंडारण सुविधा है।