विधानसभा में इस विधेयक को पास कराने के दौरान भले ही हंसी मजाक का माहौल था लेकिन कैमरे के सामने विधायकों ने खुब जोश दिखाया और दावा किया कि वो ना तो शराब पीते हैं और ना अब अपने इलाके की जनता को पीने देंगे। लेकिन बड़ा सवाल है कि शराब पीनेवाले सुधरेंगे या फिर कुछ दिनों की सख्ती के बाद देसी शराब भी आबकारी विभाग और पुलिस के लिए बड़ी कमाई का जरिया बनकर रह जाएगी। सवाल ये भी है कि विदेशी शराब की दुकानें जब तक चल रही हैं नशा मुक्ति और शराब छुड़ाने का ये अभियान कैसे पूरा होगा।