Thursday, April 25, 2024
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Covishield Vaccine को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मिली मंजूरी, 6 जनवरी से शुरू होगा वैक्सीनेशन

भारत में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर अनुमति दे दी गई है। भारत में 6 जनवरी से कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 01, 2021 19:58 IST
Covishield- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Covishield  

नई दिल्ली। नए साल के पहले दिन भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर बड़ी खुशखबरी आयी है। भारत में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को अनुमति दे दी गई है। Covishield Vaccine को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। भारत में 6 जनवरी से कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बनने वाली कोविशील्ड वैक्सीन को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की एक्सपर्ट कमेटी ने मंजूरी दे दी है। हालांकि, अभी कोविशील्ड वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से आखिरी मंजूरी मिलना बाकी है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तैयार कर रहा है।

भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की 10 सदस्यीय विषय विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोरोनावायरस वैक्सीन 'कोविशिल्ड' के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण को मंजूरी दे दी। विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से 'कोविशिल्ड' और भारत बायोटेक द्वारा 'कोवैक्सीन' के लिए मांगे गए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण पर निर्णय लेने के लिए एक बैठक बुलाई थी। एक बार जब समिति की ओर से वैक्सीन के लिए रास्ता साफ हो गया तब अंतिम अनुमोदन के लिए आवेदन भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) वी. जी. सोमानी को भेज दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन पर निर्णय का अभी भी इंतजार किया जा रहा है।

गौरतलब है कि सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने छह दिसंबर को भारत में ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके 'कोविशील्ड' के आपातकालीन उपयोग की औपचारिक मंजूरी प्राप्त करने के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के समक्ष आवेदन किया था। इससे पहले भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) वी.जी. सोमानी ने संकेत दिया कि भारत में नये साल में कोविड-19 का टीका आ सकता है।

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अब तक बन चुकी हैं लगभग पांच करोड़ खुराक 

पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) में बड़े पैमाने पर कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड की डोज तैयार की जा रही हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) अब तक ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका कोविड-19 टीके की करीब पांच करोड़ खुराक का उत्पादन कर चुकी है। कंपनी ने 28 दिसंबर को कहा कि उसका लक्ष्य अगले साल मार्च तक 10 करोड़ खुराक के उत्पादन का है।  इससे पहले, ब्रिटेन ने भी बीते बुधवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी है।

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कम तापमान पर रखना है सबसे बड़ी खूबी

भारत के लिए कोविशील्ड वैक्सीन के ज्यादा मुफीद होने के कई कारण हैं। पहला तो ये कि Pfizer की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रीज करके रखना है जिसके लिए फ्रीजर की व्यवस्था करना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी। वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए भी डीप फ्रीजर की आवश्यकता होगी, लेकिन ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सामान्य फ्रीज में रखा जा सकता है।

जानिए कितना होगा दाम

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला पहले ही ये साफ कर चुके हैं कि वर्तमान में बने तकरीबन सभी डोज भारत के लिए ही इस्तेमाल किए जाएंगे। वहीं इस वैक्सीन की तीसरी खासियत दाम भी है। नवंबर 2020 में एक इंटरव्यू में पूनावाला ने कहा था कि वैक्सीन के दोनों डोज की कीमत एक हजार रुपए से कम रखी जाएगी। बता दें कि, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ ही भारत बायोटेक और फाइजर ने डीसीजीआई के समक्ष आवेदन दिया है कि उनके टीके के आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति प्रदान की जाए। ये कंपनियां अनुमति मिलने की प्रतीक्षा कर रही हैं।

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पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को लगेगा टीका 

पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने क्लिनिकल परीक्षण और 'कोविशिल्ड' के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है, जबकि भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर 'कोवैक्सीन' बनाई है। अमेरिका की फाइजर पहली वैक्सीन थी, जिसने चार दिसंबर को त्वरित अनुमोदन के लिए आवेदन किया था। इसके बाद क्रमश: छह और सात दिसंबर को सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने आवेदन किया था। फाइजर ने हालांकि अभी डेटा पेश करने के लिए और समय मांगा है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वी. जी. सोमानी के मुताबिक, महामारी के मद्देनजर आवेदकों को अनुमति प्रदान करने की पक्रिया तेजी से चल रही है और साथ ही पूरे डाटा की प्रतीक्षा किए बिना ही पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों को अनुमति दी गई है। केंद्र सरकार ने ड्राइव के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना बनाई है।

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