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प्रदूषित हवा की वजह से दिल्ली NCR में बढ़े मरीज, लोगों को हो रही हैं ये समस्याएं

गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजी निदेशक और प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने IANS को बताया, "प्रदूषण को स्ट्रोक और हृदय रोग के प्रमुख कारण के रूप में पहचाना गया है, जो स्ट्रोक के जोखिम वाले कारकों या दिल की कोई बीमारी में 25 प्रतिशत तक जोखिम बढ़ाते हैं।"

Written by: IANS
Published : Nov 22, 2020 12:18 pm IST, Updated : Nov 25, 2020 08:05 pm IST
patient increases in delhi ncr due to pollution smog । प्रदूषित हवा की वजह से दिल्ली NCR में बढ़े मर- India TV Hindi
Image Source : AP प्रदूषित हवा की वजह से दिल्ली NCR में बढ़े मरीज, लोगों को हो रही है ये समस्याएं

नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी में छाए हानिकारक धुंध (स्मॉग) के मद्देनजर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सांस संबधी बीमारियों के रोगियों में वृद्धि देखने को मिल रही है। वायु प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिसमें उन लोगों को साइनसाइटिस, एलर्जिक राइनाइटिस, ब्रोंकाइटिस और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है जो धूम्रपान नहीं करते हैं या प्री-अस्थमेटिक कंडीशन है।

विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड संक्रमण को बदतर बनाने में वायु प्रदूषण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजी निदेशक और प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने IANS को बताया, "प्रदूषण को स्ट्रोक और हृदय रोग के प्रमुख कारण के रूप में पहचाना गया है, जो स्ट्रोक के जोखिम वाले कारकों या दिल की कोई बीमारी में 25 प्रतिशत तक जोखिम बढ़ाते हैं।"

उन्होंने कहा, "उच्च स्तर के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से आंखों में जलन, गले में घरघराहट, खांसी, सांस लेने में समस्या हो सकती है। वायु प्रदूषण फेफड़ों और हृदय को भी प्रभावित कर सकता है।"

स्मॉग से आंखो में जलन, थकान, माइग्रेन, सिरदर्द, चिंता और अवसाद भी हो सकता है। गुप्ता ने कहा, "यह त्वचा को खराब भी कर सकता है, एलर्जी संबंधी विकार और बालों की समस्याएं पैदा कर सकता है।" उन्होंने कहा कि पिछले हफ्तों में ओपीडी में सांस संबंधी बीमारियों के रोगियों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

दिल्ली में एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स के एचओडी डॉ. पुनीत खन्ना ने कहा कि जैसे-जैसे सर्दी आती है, कम तापमान और हवा की धीमी गति से धुंध बढ़ जाती है। खन्ना ने बताया, "ग्राउंड-लेवल ओजोन ओ3 और पीएम 2.5 स्मॉग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। औद्योगिक गतिविधियों और सार्वजनिक परिवहन के अलावा, सर्दियों में धुंध, पराली जलना और सड़क की धूल धुंध के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।"

कमजोर समूह में नवजात और बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और पहले से स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे लोग जैसे अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, मधुमेह, एनजाइना और हृदय संबंधी बीमारियों के मरीज शामिल हैं। डॉ. खन्ना के अनुसार, वायु प्रदूषण में थोड़ी सी भी वृद्धि से ओपीडी में भारी भीड़ होती है। उन्होंने कहा कि स्मॉग अवधि के दौरान, इन लोगों को सुबह और शाम के समय विशेष रूप से तीव्र शारीरिक गतिविधि से बचना चाहिए। उन्हें एन 95 मास्क पहनना चाहिए।

धर्मशीला नारायण सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉ. नवनीत सूद (पल्मनरी कंसल्टेंट) ने कहा कि "कोविड महामारी के बीच हवा का स्पष्ट प्रभाव दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए अधिक समस्या पैदा कर रहा है।" सूद ने कहा कि समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है। जब भी घर से बाहर निकलें तो मास्क पहनें, सुबह और देर शाम बाहर जाने से बचें और कोविड-19 से संबंधित हर सावधानी बरतें।

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