Saturday, May 04, 2024
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क्या है बरमूडा ट्रायएंगल, क्यो इसे कहा जाता है DEVIL'S TRINGEL?

बरमूडा ट्रायएंगल आज के युग का सबसे बडा एक अनसुलझा रहस्य है। इसे devil's tringel भी कहा जाता है।

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: October 22, 2016 20:52 IST
bermuda triangle- India TV Hindi
bermuda triangle

नई दिल्ली: बरमूडा ट्रायएंगल आज के युग का सबसे बडा एक अनसुलझा रहस्य है। इसे devil's tringel भी कहा जाता है। यह त्रिकोणीय रहस्यमयी जलक्षेत्र बरमूडा द्वीप से मियामी, संयुक्त राज्य अमेरिका और पर्टो रीको तक उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है। इस क्षेत्र में अब तक हज़ारों लोग, कई विमान और जहाज़, संदिग्ध रूप से लापता हुए हैं। सैकड़ों सालों से यह त्रिकोणीय क्षेत्र वैज्ञानिकों, खोजकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए भी रहस्य का केंद्र बना हुआ है।

बरमूडा ट्रायएंगल करीब 440,000 मील तक के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्रों को मिला दे तो भी इसकी तुलना में यह क्षेत्र अधिक विस्तृत होगा। यह त्रिकोण निश्चित रूप से एक ही जगह स्थिर नहीं है। इसका प्रभाव त्रिकोण क्षेत्र के बाहर भी महसूस किया जा सकता है।

अमेरिका का बमवर्षक हो गया गायब

बीते 100 सालों में यहां हज़ारों लोगों की जान गई है। एक आंकड़े में यह तथ्य सामने आया है कि यहां हर साल औसतन 4 हवाई जहाज़ और 20 समुद्री जहाज़ रहस्यमयी तरीके से गायब होते हैं। 1945 में अमेरिका के पांच टारपीडो बमवर्षक विमानों के दस्ते ने 14 लोगों के साथ फोर्ट लोडअरडेल से इस त्रिकोणीय क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी थी। यात्रा के लगभग 90 मिनट बाद रेडियो ऑपरेटरों को सिग्नल मिला कि कम्पास काम नहीं कर रहा है। उसके तुरंत बाद संपर्क टूट गया और उन विमानों में मौजूद लोग कभी वापस नहीं लौटे। उनके बचाव कार्य में गए तीन विमानों का भी कोई नामों-निशान नहीं मिला। शोधकर्ताओं का मानना है कि यहां समुद्र के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाज़ों में लगे उपकरण काम करना बंद कर देते हैं। जिस कारण जहाज़ रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

कोलंबस ने सबसे पहले इसे देखा

बरमूडा ट्रायएंगल के बारे में सबसे पहले सूचना देने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ही थे। कोलंबस ही वह पहले शख्स थे जिनका सामना बरमूडा ट्रायएंगल से हुआ था। उन्होंने अपनी पत्रिकाओं में इस त्रिकोण में होने वाली गतिविधियों का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह बरमूडा त्रिकोण के पास पहुंचे, उनके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस को आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया।

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