Friday, May 03, 2024
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Maruti Alto Car Dhaba: चलते-फिरते ढाबे ने बदल दिया लाइफस्टाइल, क्या आप जानते हैं ऑल्टो कार वाली ढाबा के बारे में

इस ढाबे की कहानी जानकार आप काफी प्रभावित हो सकते हैं। कैसे एक परिवार ने खुद इस स्टार्ट अप के जरिए संभाला। आज ढ़ाबे के बदलौत अच्छी खासी इनकम करते हैं। पति और पत्नि ढ़ाबे को चलाते हैं। पहले शुरुआती दौर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अब किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।

Ravi Prashant Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: October 11, 2022 9:02 IST
Vishnu Dhaba- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Vishnu Dhaba

Highlights

  • मुश्किल से 100 रुपये रोज कमा पाती थी
  • पॉलिटेक्निक कॉलेज में दिहाड़ी पर काम करता था
  • इस ढाबे को चलाने वाले दो पति-पत्नि

 

Maruti Alto Car Dhaba: आप जब कभी यात्रा पर निकलते हैं तो रास्तों में कई ढाबों को देखते होंगे। आज आपको ढाबा से ही जुड़ी एक कहानी बताने जा रहे हैं। आपने तो एक से बढ़कर एक ढाबा देखा होगा लेकिन जिस ढाबा के बारे में बताने जा रहा हूं वो थोड़ा अलग है। इस ढाबे की कहानी जानकार आप काफी प्रभावित होंगे। जो आम ढाबों पर खाना मिलता है उस टाबे की टेस्ट बेहतर है, जिसका कोई जवाब नहीं है। आपको बता दें कि बाकी ढाबों से अलग है, ये ढाबा चलता फिरता है। इस ढाबे को चलाने वाले पति-पत्नि है। 

ऑल्टो वाली ढाबा मशहुर 

सड़कों के किनारे हम सभी ढाबे देखते हैं, लेकिन मारुति ऑल्टो कार में शायद ही कभी हमने एक ढाबा देखा हो, एक ढाबा जहां आपको घर का ताजा खाना खाने को मिले। जम्मू में एक शख्स और उसकी पत्नी ने अपनी ऑल्टो कार में 'विष्णु ढाबा' शुरू किया, जो पिछले डेढ़ महीने में टॉप शेर खानियां इलाके में काफी लोकप्रिय हो गया है और हर दिन दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक खुलता है। कठुआ जिले के बिलावर इलाके की रहने वाली ममता शर्मा जम्मू के बिक्रम चौकी इलाके में अपने दो बच्चों और पति के साथ रोज ढाबे के लिए तैयार होती हैं।

काफी सोचने के बाद दिमाग में आया आइडिया
उसका पति एक योजना के तहत पॉलिटेक्निक कॉलेज में दिहाड़ी पर काम करता था, जिससे उसे प्रति माह 7,000 रुपये मिलते थे, लेकिन कुछ दिन बाद नौकरी छूट गई। शर्मा ने कहा, नौकरी छूटने के बाद मेरे पति पर मुसीबत आ गई, बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई। मकान का किराया देना मुश्किल था। उन्होंने कहा, कठिनाईयों को बढ़ता देख मैंने अपने पति से कहा कि मैं स्वादिष्ट खाना बना सकती हूं, क्यों न एक साथ ढाबा खोला जाए। मैंने इसके लिए उपयुक्त जगह की तलाश शुरू की, लेकिन शिकायतों की अधिक संख्या के कारण यह संभव नहीं था। फिर मेरे दिमाग में एक ऑल्टो कार इस्तेमाल करने का आइडिया आया और यह आइडिया काफी अच्छा साबित हुआ।

घर जैसा मिलता है खाना 
ममता शर्मा ने कहा, शुरूआत में मैं मुश्किल से 100 रुपये रोज कमा पाती थी, फिर एक दिन लोग उस कार पर आने लगे जिसे हम एक पेड़ के नीचे पार्क करते थे। शुक्र है कि आज दोपहर 12 से 4 बजे लोग मेरे यहां भोजन के लिए आते हैं, जिससे मेरे घर का भी पेट पल रहा है। भोजन में 'राजमा', 'चना दाल', 'छोले दाल', 'कड़ी', 'अंबल' और 'चावल', अचार और करी शामिल हैं। एक फुल प्लेट की कीमत 50 रुपये और हाफ प्लेट की कीमत 30 रुपये है। उनके पति नीरज शर्मा ने कहा कि यहां खाने की सबसे अच्छी बात यह है कि यह घर पर बना खाना है। हमारे अंदर काम करने का जुनून होना चाहिए। हम सम्मान, धन कहीं भी कमा सकते हैं। भगवान का शुक्र है, हमने कोशिश की।

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